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स्पीकर से बदसलूकी करने वाले SDPO व दो थानेदार नपे, DGP के बॉडी लैंग्वेज को लेकर भी 'अध्यक्ष' सख्त, पूछा जायेगा ऐसा क्यों किया...

स्पीकर से बदसलूकी करने वाले SDPO व दो थानेदार नपे, DGP के बॉडी लैंग्वेज को लेकर भी 'अध्यक्ष' सख्त, पूछा जायेगा ऐसा क्यों किया...

पटनाः  बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन जमकर हंगामा हुआ। स्पीकर विजय सिन्हा से बदसलूकी के मुद्दे पर बीजेपी व समूचा विपक्ष एक साथ आ गया। बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने डीजीपी के बॉडी लैंग्जवेज व बयान पर गहरी नाराजगी जताई। सदन में हो रहे हंगामा के मद्देनजर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक की गई। बैठक के बाद स्पीकर ने लिए गए निर्णय की जानकारी सदन को दी। उन्होंने बताया कि तय हुआ कि लखीसराय के एसडीपीओ व दो थानेदारों को हटाया जायेगा। स्पीकर से बदसलूकी के मामले को विशेषाधिकार कमिटि को दी गई है। पंद्रह दिनों में रिपोर्ट दिया जायेगा। डीजीपी से रिपोर्ट की प्रतिक्षा है। विस अध्यक्ष ने सदन में बताया कि जहां तक डीजीपी के बॉजी लैंग्वेज की बात है उनको इस संबंध में पत्र भेजा जायेगा। 

DGP पर बरसे बीजेपी-राजद विधायक

भाजपा विधायक संजय सरावगी ने कहा कि स्पीकर के साथ पुलिस के अधिकारियों ने बदतमीजी की। हमने विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। आपने बैठक बुलाई। बैठक से निकलने के बाद डीजीपी का बयान सही नहीं था। वो घोर आपत्तिजनक था। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकारी की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मामला स्पीकर साहब से जुड़ा हुआ है। हम सरकार की तरफ से स्पष्ट करना चाहते हैं। आप स्वयं इस मामले को देख रहे हैं तो सारे सदस्यों को आसन पर भरोसा होना चाहिए। विजय चौधरी ने कहा कि विपक्षी विधायकों को आसन पर भी भरोसा नहीं है। विपक्षी विधायक आपके अवमानना की बात कर रहे लेकिन आप पर भरोसा नहीं कर रहे। इस पर विस स्पीकर विजय सिन्हा ने सभी सदस्यों से खड़ा होने को कहा। आसन की तरफ से कहा गया कि जो विधायक आसन पर भरोसा करते हैं वो खड़े हो जायें। इसके बाद सारे सदस्य  सीट पर खड़े हो गए। 


बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने भ्रष्ट अधिकारियों के अभियोजन नहीं देने का सवाल उठाया। बीजेपी विधायक ने सदन में कहा कि 125 वैसे अधिकारी जो भ्रष्टाचार में संलिप्त थे उन पर सरकार के यहां अभियोजन का प्रस्ताव लंबित है। सरकार जवाब दे।इस पर प्रभारी मंत्री विजय चौधरी ने सदन में जवाब दिया कि कुल 125 अभियोग लंबित थे। लेकिन 17 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी गई है। 108 लंबित है। उन्होंने कहा कि सबसे पुराना केस 1999 का है। मंत्री ने कहा कि देर होना सही बात नहीं है। लेकिन कई वजहों की वजह से देरी हो रही है। सरकार ने इस संबंध में अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं। 15-20 मामले ऐसे हैं जिनमें अधिकारियों की मृत्यु भी हो गई है। मुख्य सचिव के स्तर पर बैठक कर इस मामले के शीघ्र निष्पादन करेंगे। भाजपा विधायक ने कहा कि यह मामला कब निष्पादित होगा। विस अध्यक्ष ने कहा कि चलते सत्र में ही मामले की निष्पादन होगा। फिर मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि यह कानूनी मामला है। हमने कह दिया कि जल्द ही इस मामले का निष्पादन करेंगे। 

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