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जातीय सर्वे की दूसरी रिपोर्ट: आबादी की उच्च शैक्षणिक स्थिति के मामले में बिहार फिसड्डी साबित, सियासी होड़ लेने की कवायद शुरु

जातीय सर्वे की दूसरी रिपोर्ट: आबादी की उच्च शैक्षणिक स्थिति के मामले में बिहार फिसड्डी साबित, सियासी होड़ लेने की कवायद शुरु

बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है. 2 अक्टूबर को बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए गए थे. इन आंकड़ों के मुताबिक़ बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई . सरकार की तरफ़ से जो आंकड़े जारी किए गए  उसके मुताबिक़ राज्य में सबसे बड़ी आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है, जो राज्य की कुल आबादी के क़रीब 36 फ़ीसदी है. वहीं आज बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन बिहार की आबादी की शैक्षणिक स्थिति की जानकारी भी सरकार ने सार्वजनिक की है. शीतकालीन सत्र में सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े रखे गए.  रिपोर्ट में यह भी जानकारी  है कि सरकारी नौकरियों में विभिन्न जातियों की कैसी भागीदारी है. नीतीश सरकार ने बिहार की आबादी की शैक्षणिक स्थिति की रिपोर्क्याट जारी की है. 

बिहार में आबादी की शैक्षणिक स्थिति का जो रिपोर्ट आया है उसके अनुसार बिहार की 22.67 आबादी के 1 से 5 वीं तक की शिक्षा ग्रहण कर पाई है वहीं वर्ग 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 फीसदी आबादी के पास है. बिहार सरकार के रिपोर्ट के अनुसार वर्ग 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 फीसदी आबादी ग्केरहण कर पाई है तो वहीं वर्ग 11 से 12 तक की शिक्षा 9.19 फीसदी आबादी को नसीब हो पाया है. वहीं ग्रेजुएट की शिक्षा  बिहार की मात्र 7 फीसदी जनता को नसीब हो पाया है.  समझा जाता है कि यह रिपोर्ट समाज के साथ राजनीतिक समीकरण को भी प्रभावित करेगी. पिछड़ों एवं अति पिछडों को संख्या के अनुसार आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग पहले से चल रही है.

बहरहाल बिहार की राजनीति में शि7ा के नाम पर तमाम दावे सरकारों ने किया लेकिन रिपोर्ट से  अब जो शैक्षणिक आंकड़े आए हैं वे चौकाने वाले हैं.

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