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माध्यमिक शिक्षक संघ ने नीतीश सरकार से पूछे सवाल,आखिर कितने बलिदान के बाद सरकार की टूटेगी नींद

माध्यमिक शिक्षक संघ ने नीतीश सरकार से पूछे सवाल,आखिर कितने बलिदान के बाद सरकार की टूटेगी नींद

Patna : शिक्षकों के हड़ताल की सरकार द्वारा अनदेखी किये जाने को लेकर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ बड़ा हमला बोला है। 

संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री आखिर कितने बलिदान के बाद आपकी तंद्रा टूटेगी तथा आपका कलेजा पसीजेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में वैश्विक महामारी कोरोना की तुलना में कहीं अधिक अब तक लगभग 30 हड़ताली शिक्षकों की मृत्यु हो चुकी है। जो शिक्षक आंदोलन इतिहास की अब तक का सबसे बड़ी त्रासदी है। 

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकार को इसकी प्रवाह नहीं है जो सरकार की राज्य में शिक्षा और शिक्षकों के प्रति असंवेदनशीलता तथा राज्य के गरीब, वंचित, दलित, पिछड़ों आदि के बच्चों के शिक्षा के प्रति सरकार की कितनी गंभीरता है इसको भी दर्शाता है। 

ये हड़ताली शिक्षक पहले से ही सरकार के नियोजनवाद के दंश को झेल रहे थे तथा अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत लोकतांत्रिक तरीके से अपनी वाजिब मांगों को लेकर 25 फरवरी से हड़ताल पर हैं। मगर अपने को सुशासन की सरकार बताने वाली यह सरकार असंवैधानिक रूप से लगातार अल्प वेतनभोगी हड़ताली शिक्षकों का कार्य अवधि का भी वेतन बंद कर दमनात्मक कार्रवाई करती रही। 

लगातार प्रताड़ना के कारण अधिकांश शिक्षक हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज तथा पैसे के अभाव में इलाज न कराने के कारण असमय काल के गाल में समा गए। यदि इन शिक्षकों के परिवार की मृत्यु की संख्या को जोड़ी जाए तो यह बहुत बड़ी संख्या होगी।

महासचिव ने कहा कि कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट दौर में अपने सामाजिक दायित्वों के तहत न सिर्फ जागरुकता अभियान चला कर बल्कि विद्यालयों में बनाये गए कोरेंटाइन सेंटर में अपनी सेवा देने सहित इस विपदा की घड़ी में अपने एक दिन के वेतन जो लगभग तीन करोड़ से अधिक की राशि होगी मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला लिया है। 

वर्तमान समय में हड़ताली शिक्षकों के बाल-बच्चे और उन पर आश्रित माता-पिता सहित पूरा परिवार सरकार की आर्थिक व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहा है जो मानवाधिकार का सर्वथा उल्लंघन है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग अपने ही आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है। विभाग ने अपने ही आदेशों में पूर्व में स्पष्ट किया है कि किसी भी हालात में शिक्षकों का वेतन नहीं रोका जाए। ये उनके मानवीय अधिकार का हनन होगा। विभाग ने अपने आदेशों में यह भी माना है कि इसका प्रभाव शिक्षक के साथ-साथ उसके परिवार पर भी पड़ता है। 

शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव स्व. डॉ मदन मोहन झा तथा वर्तमान अपर मुख्य सचिव आरके महाजन के उन आदेश पत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि इन लोगों ने स्वयं माना है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए नियमन तथा मानवाधिकार आयोग द्वारा दिये गए गए निर्देश के तहत किसी भी शिक्षक का वेतनादि नहीं रोका जा सकता है। अपने अधीनस्थों को दिये गए निर्देश में इन दोनों अधिकारियों ने कहा कि कार्य के बदले वेतन का भुगतान किसी भी कर्मी का नैसर्गिक अधिकार है। 

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री बार-बार मीडिया के माध्यम से यह व्यक्तव्य देते रहे हैं कि हड़ताली शिक्षकों से वार्ता कर इनकी समस्याओं का सकारात्मक समाधान चाहते हैं जबकि वस्तुस्थिति यह है कि वे ऐसे बयान देकर गुमराह करने में जुटे हैं जबकि उनके द्वारा अबतक वार्ता के लिए शिक्षक संगठनों को तिथि, स्थान और समय निर्धारित नहीं की गई है।

उन्होंने एक बार फिर सरकार से अपील की है कि अपनी हठधर्मिता को त्यागते हुए सम्मानजनक वार्ता कर अनिश्चितकालीन हड़ताल को समाप्त कराएं।

विवेकानंद की रिपोर्ट



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