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बीजेपी के अपने सर्वे में आये चुनाव परिणाम के नतीजे से शीर्ष नेतृत्व परेशान, कहा समय है सुधारिये

बीजेपी के अपने सर्वे में आये चुनाव परिणाम के नतीजे से शीर्ष नेतृत्व परेशान, कहा समय है सुधारिये

पटना : सर्वे का खेल हर पार्टी चुनाव से पहले अपने को आंकने के लिये खेलते रहती है । हर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से लेकर तमाम पार्टियां अपने राजनीतिक औकात को मापने के लिए सर्वे के थर्मामीटर का उपयोग करती है ताकि अपने आप को तौल सके।

बताया जाता है कि पार्टी के द्वारा कराए जाने वाले इंटरनल सर्वे में जो परिणाम आते हैं वो असली चुनाव परिणाम के काफी करीब होता है। इसके बाद सुधार की गुंजाइश पर तैयारी शुरू हो जाती है। रणनीति ऐसी बनाई जाती ताकि खराब परिणाम को बेहतर किया जा सके।

बीजेपी के अपने सर्वे में कितनी सीटें आईं?
सूत्रों की माने तो दिल्ली के चुनाव से पहले हुए इंटरनल सर्वे में आए नतीजे ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को परेशानी में डाल दिया है। राज्यों के चुनाव में लगातार हार का सामना कर रही बीजेपी के लिए दिल्ली का चुनाव किसी कोरामिन से कम नहीं। अगर इस दंगल में बीजेपी चारों खाने चित हो जाती है तो इसका इंपैक्ट पूरे देश पर पड़ना तय है। सूत्रों की माने तो अन्य राज्यों की चुनाव की तरह बीजेपी ने दिल्ली में भी अपना सर्वे कराया है.लेकिन जो चुनाव परिणाम आए हैं वह चौकानेवाले हैं।सूत्र बताते बीजेपी खुद को सिर्फ 12 सीटों पर जीतते हुए दिख रही है।

 मतलब साफ है कि 70 सीटों वाली दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी चारों खाने चित हो जाएगी। जाहिर सी बात है पिछले 2 वर्षों में राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और झारखंड की सत्ता गंवा चुकी बीजेपी के लिए दिल्ली का चुनाव हारना देश में विश्वास होने के बराबर होगा इसका मतलब साफ है कि केंद्र के द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं से राज्य की जनता संतुष्ट नहीं है बीजेपी के इंटरनल सर्वे में आए नतीजे ने सिर्फ नेतृत्व को परेशानी में डाल दिया है उनकी कोशिश है की एक ऐसी रणनीति तैयार की जाए जो इस शर्मनाक हार को टाल सके.

मुद्दा बदलने की कोशिश में भाजपा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के द्वारा पानी बिजली और साथ में महिलाओं के ट्रैवल को फ्री करने को लेकर बवाल मचा है।इससे परेशान बीजेपी लगातार मुद्दे बदलने की कोशिश कर रही है । पानी के बिल को कम करने को भी मुद्दा बनाने से चूक नहीं रही। बीजेपी नेताओं का कहना है कि पानी का बिल घटाने से जल बोर्ड को साडे आठ सौ करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है ।जल बोर्ड के पास इतना भी पैसा नहीं बचा है ताकि वह प्रतिदिन फट रहे पाइप की मरम्मत कर सके।

इसी तरीके से निर्भया के हत्यारों को फांसी देने और उसे उसे टालने को भी मुद्दा बनाया जा रहा है। बीजेपी इसका सारा दोष केजरीवाल सरकार पर डालकर मुद्दा बदलने की कोशिश में लगी है ।लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि दिल्ली की जनता किस दल को अपना दिल दे बैठती है। कुछ भी हो दिल्ली का चुनाव केजरीवाल से ज्यादा मोदी और अमित शाह के लिए महत्वपूर्ण है।दिल्ली की हार मोदी और अमित शाह की हो रही वाह वाह पर सीधे असर डालेगी।

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