KATIHAR : आजादी के बाद से अब तक मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है कटिहार फलका प्रखंड के बंकू टोला गांव के लोग, गांव तक पहुंचने के लिए नहीं है कोई सड़क, इसलिए कोई बीमार पड़ने पर मुख्य सड़क तक लाने के लिए ग्रामीणों को मरीज को लेकर ढेर से लेकर दो किलोमीटर तक खटिए में लेकर पैदल चलना पड़ता है। पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में होने के बावजूद इसकी बड़ी आबादी के परेशानी को लेकर कटिहार सांसद कर रहे हैं पहल की मांग की है
बंकू टोला के विकास को लेकर यहां के लोगों में निराशा देखी जा सकती है। यहां वर्षों से रहनेवाली गीता देवी परेशान है क्योंकि गांव तक पहुंचने के लिए अब तक कोई सड़क नहीं है, कई बार क्षेत्र के नेताओं ने आश्वासन जरूर दिया था लेकिन अब तक जमीन पर कोई काम हुआ नहीं है। ग्रामीण राजकुमार मुंडा कहते हैं की हालात तो बाढ़ के समय और खराब हो जाता है मगर अब तक कोई उनके इलाके में विकास की सुधि लेने नहीं पहुंचा है। वृद्ध ग्रामीण दुखी दास कहते हैं कटिहार जिले के फलका प्रखंड में कई गांव का कायाकल्प हुआ है मगर न जाने क्यों उनके गांव बंकू टोला के सुधि लेने वाला है कोई नहीं है।
गांव में कोई नहीं देना चाहता है अपनी बेटी
अब हालात यह है कि इस गांव में कोई अपना बेटी की शादी नहीं करवाना चाहता है। लगभग 500 आबादी बहुल इस गांव में पहुंचने के लिए मुख्य सड़क के नाम पर कुछ है ही नहीं आम दिनों में लोग पगडंडी के सहारे अनजान तो करते हैं मगर बाढ़ के दस्तक के बीच ग्रामीण अभी से ही दहशत में आने लगे हैं, सबसे खराब हालत किसी के बीमार पड़ने पर होता है बीमार मरीज को मुख्य सड़क या अस्पताल तक लाने के लिए ग्रामीण खटिया में लादकर कई किलोमीटर तक पैदल इलाज के लिए जाते हैं, ऐसे में ग्रामीण सुशासन में विकास के बयार पर सवाल उठाते हुए जल्द उनके इलाके में विकास की रोशनी जलाने की मांग कर रहे हैं।
क्या कहते हैं कटिहार सांसद
इलाके के विकास की हालात पर सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी कहते हैं कि कटिहार,कोढ़ा विधानसभा के यह इलाका पूर्णिया संसदीय क्षेत्र में आता है। हालांकि सरकार पूरे बिहार में विकास के कार्य को लेकर गंभीर हैं और जल्द ही इस इलाके में भी काम संपन्न होगा क्योंकि बिहार सरकार सुदूर इलाके तक सड़क मार्ग को लेकर काफी गंभीर है जिसका असर जल्द देखने को मिलेगा। निश्चित तौर पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पहल से कई इलाकों में विकास का कार्य जारी है लेकिन ऐसे में अगर सुदूर इलाके की विकास की रफ्तार धीमी पड़ जाए तो सामूहिक विकास की सोच पूरा नही हो सकता है।