NEW DELHI : अक्सर ऐसा होता है कि हमारे साथ कोई घटना घटी हो और उसके बाद जीने के मायने ही बदल गए हो. इंसान जिंदगी के हर मोड़ पर कुछ ना कुछ सीखता ही है. कुछ ऐसा ही हुआ था IPS शालिनी अग्निहोत्री के साथ. शालिनी एक बस कंडक्टर की बेटी हैं. एक बस कंडक्टर की बेटी से IPS बनने का सफ़र कितना उतार चढ़ाव भरा रहा आपको बताते है .
जब शालिनी के पिता बस कंडक्टर थे तब शालिनी ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन वो IPS बनेंगी. लेकिन जीवन में घटी एक घटना ने उन्हें IPS बनने का रास्ता दिखाया. एक इंटरव्यू में शालिनी ने बताया था, एक बार वह और उसकी मां उसी बस में सफर कर रही थीं, जिसमें उनके पिता कंडक्टर थे.उन्होंने बताया, जहां मेरी मां बैठी थी. उनकी सीट के पीछे एक आदमी सीट पकड़कर खड़ा हुआ था. जिसके बाद मेरी मां ने अनुरोध किया कि हाथ यहां से हटा दीजिए. लेकिन उस आदमी ने ऐसा नहीं किया. आदमी ने गलत बर्ताव करते हुए कहा, आप क्या डीसी (कलेक्टर) हैं जो मैं आपकी बात मान जाऊं. मैं उस समय बच्ची थी. उस वक्त मैंने सोचा आखिर ये डीसी कौन होता है, जिसकी बात सब मानते हैं. शालिनी ने आगे बताया कि जब मैं 10वीं क्लास में पहुंची तो इसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हो गई थी. जिसके बाद मैंने सोच लिया था मैं पुलिस अफसर ही बनूंगी.
बचपन से ही शालिनी तेज-तर्रार थीं. शालिनी हिमाचल के ऊना के ठठ्ठल गांव की रहने वाली हैं. छोटे से गांव में अकसर बेटी के जवान होने पर माता पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है, लेकिन शालिनी के माता- पिता ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. शालिनी अग्निहोत्री ने सिर्फ 18 महीने की तैयारी के बाद 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी. IPS की ट्रेनिंग के दौरान शालिनी अग्निहोत्री को 65वें बैच में पहला स्थान मिला था. उनकी पहली पोस्टिंग कुल्लू में हुई थी.