PATNA : लोकसभा की सीढ़ियां चढ़ने के लिए शरद यादव के पास लालटेन थामने के अलावा अब दूसरा विकल्प नहीं बचा है। पूर्व जेडीयू अध्यक्ष लोकतंत्र बचाने के लिए साझी विरासत के नाम पर नीतीश कुमार का साथ तो छोड़ आये लेकिन अब उन्हें संसद जाने के लिए हर कीमत पर लालू प्रसाद यादव का हाथ थामना होगा।
महागठबंधन में सीट बंटवारे का जो फार्मूला तय हो रहा है उसमें शरद यादव या उनकी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी जाने वाली सीटों पर अलग से चर्चा नहीं हो रही है। शरद यादव को मधेपुरा से चुनाव लड़ना है और मधेपुरा सीट पर आरजेडी की दावेदारी है। उनकी पार्टी के दूसरे बड़े नेता उदय नारायण चौधरी को जमुई सीट से चुनाव लड़ना है और यह सीट भी आरजेडी के दावे वाली लिस्ट में शामिल है।
आरजेडी के सूत्र बताते हैं की लालू प्रसाद यादव ने शरद यादव को दो टूक कह दिया है कि उन्हें हर कीमत पर आरजेडी के सिंबल के साथ ही चुनाव लड़ना होगा। हालांकि शरद इसके लिए तैयार नहीं थे। इसी बात को लेकर पिछले दिनों की शरद यादव ने रिम्स पहुंचकर लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी। लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद शरद यादव पर इस बात का दबाव बढ़ गया है कि वह जल्द अपनी उम्मीदवारी ही तय कर लें। ऐसे में अगर उन्हें लालटेन थामना है तो अब देरी उनके लिए मुसीबत बन सकती है।