गया में श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट से बहरेपन के शिकार बच्चों के परिजनों के चेहरे पर लौटी मुस्कान, डीएम कर रहे प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग

GAYA : जिला में कम सुनने की क्षमता या बहरेपन के शिकार बच्चों को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की काफी मदद मिल रही है। ऐसे बच्चों के लिए श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट वरदान बन चुका है। बच्चे अपने माता-पिता को प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जिससे उनके माता—पिता के चेहरे पर अब मुस्कान आ रही है। अपने बच्चों को देख उनमें उम्मीद जगी है और यह सब श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट के कारण हो रहा है। इस प्रोजेक्ट का जिलाधिकारी डॉ एसएम त्यागराजन द्वारा स्वयं लगातार समीक्षा तथा अनुश्रवण किया जा रहा है। जिसका आज परिणाम है कि अनेकों बच्चे जो हियरिंग लॉस की समस्या से ग्रसित थे, उन्हें समुचित इलाज निःशुल्क करवाया जा रहा है।
राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार पटना द्वारा गया जिला को मॉडल के रूप में देखते हुए गया जिला के अतिरिक्त कुल 9 जिला यथा पटना, नालंदा, भागलपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया एवं वैशाली जिला के हियरिंग लॉस बच्चों को नि:शुल्क इलाज कराया जाएगा। इसके लिए राज्य स्वास्थ समिति एवं डॉक्टर एसएन मल्होत्रा मेमोरियल यूपी के बीच एमओयू हुआ है। गया जिला के अलावा अब इन जिलों के बच्चे का भी स्क्रीनिंग कराते हुए नि:शुल्क इलाज करवाया जाएगा। श्रवण श्रुति कार्यक्रम के गया जिले के मॉडल को देखकर माननीय मुख्यमंत्री ने भी काफी सराहना किया है।
जिलाधिकारी डॉ० त्यागराजन एस०एम० के निर्देश के अनुसार आइसीडीएस तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों के संयुक्त टीम द्वारा जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर छह साल से कम उम्र वाले बच्चों के हियरिंग लॉस स्क्रीनिंग कार्य चलाया जा रहा है। इसके तहत कमजोर श्रवण शक्ति वाले बच्चों को चिन्हित कर उनकी लाइनलिस्टिंग कर चरणबद्ध तरीके से इलाज कराया जा रहा है। इलाज के लिए पटना स्थित एम्स तथा कानपुर भेजा जाता है। कानपुर में बच्चों के श्रवण शक्ति की गंभीरता के अनुसार सर्जरी कर कॉकलियर इंप्लांट किया जा रहा है। स्पष्ट निर्देश है कि स्क्रीनिंग कार्य की गति को बढ़ाते हुए अधिक से अधिक बच्चों की स्क्रीनिंग की जाये। हियरिंग लॉस होने पर बच्चों के समुचित इलाज के लिए उन्हें संबंधित अस्पताल भेजा जाये। स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी नीलेश कुमार ने श्रवण श्रुति कार्यक्रम की उपलब्धि के बारे में बताया कि अब तक जिला में 32 हजार से अधिक बच्चों के कानों की जांच की गयी है। पूर्ण बहरेपन हेतू चिन्हित बच्चों की संख्या 53 है तथा तात्कालीन बहरेपन छेद चिन्हित बच्चों की संख्या 79 है. 53 बच्चों में 07 बच्चों का सर्जरी की मदद से कॉकलियर इंप्लांट किया गया है। 16 बच्चों के कॉकलियर इंप्लांट के लिए सर्जरी से पूर्व सभी जांच की जा चुकी है। सर्जरी के लिए 30 बच्चों को चिन्हित किया गया है। सर्जरी में सभी प्रकार का आवश्यक खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, आइसीडीएस, शिक्षा विभाग, यूनिसेफ के अधिकारी कोर टीम में शामिल हैं, जिनके द्वारा प्रोजेक्ट के कार्यों की समीक्षा तथा अनुश्रवण किया जाता रहता है।
जिला में कॉकलियर इंप्लांट किये बच्चे अब धीरे-धीरे प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इमामगंज के श्रेयांश की मुलाकात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई। मुख्यमंत्री का श्रेयांश ने प्रतिक्रिया भी दिया। श्रेयांश अब धीरे धीरे सुन रहा है और अब बोलना सीख रहा है। परिजन उसे नये शब्द बता रहे हैं जिसे सुन वह उसका उच्चारण करने की पूरी कोशिश करता है। कई शब्द वह स्वयं बोल पा रहा है। ऐसे बच्चों में टेकारी के हमजा शमशाद और सन्नी, बेलागंज के शाद रहमान, बोधगया की साक्षी कुमारी, वंदना कुमारी तथा अनुराधा शामिल हैं जिनका कॉकलियर इंप्लांट किया गया है।
गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट