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मोतिहारी में सोमेश्वरनाथ महादेव के श्रृंगार पूजन से कष्टों का होता है निवारण, सावन मास में उमड़ती है भक्तों की भीड़

मोतिहारी में सोमेश्वरनाथ महादेव के श्रृंगार पूजन से कष्टों का होता है निवारण, सावन मास में उमड़ती है भक्तों की भीड़

मोतिहारी. बिहार के काशी कहे जाने वाले देवाधि देव महादेव के मोतिहारी के अरेराज में स्थित प्रसिद्ध सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के साथ साथ महाश्रृंगार का बहुत महत्व है। देवो के देव महादेव मनोकामनपुरक सोमेश्वरनाथ के श्रृंगार पूजन में शामिल होने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुचे हैं। ऐसे तो मंदिर में प्रतिदिन रात्रि में विधि विधान से श्रृंगार पूजन का आयोजन मंदिर पुजारी व महंत द्वारा किया जाता है। लेकिन शिव के सबसे प्रिय मास सावन में पूरे महीने, महाशिवरात्रि, वसंत पंचमी, अन्नकूट के दिन विशेष श्रृंगार का आयोजन किया जाता है।

श्रद्धालुओं के श्रृंगार पूजन कराने के लिए एक माह पूर्व से ही बुकिंग करना पड़ता है। गहवर में बसे पंचमुखी बाबा सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर जो  प्राचीनतम तीर्थ स्थल है। यहां भगवान शिव के विशेष प्रशन्नता के लिए नित्य श्रृंगार पूजन का आयोजन किया जाता है, जो कई दशकों से यह श्रृंगार पूजन की परंपरा चली आ रही है। सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर का भव्य श्रृंगार व पूजन सम्पूर्ण भारत वर्ष में अद्वितीय व सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वैदिक विद्वानों के द्वारा षोडशोपचार विधि से पूजन कर गंगाजल, मलयागिरि चंदन, अष्टगंध, इत्र, अक्षत, गुलाबजल, वस्त्र, विल्वपत्र, हरित दूर्वा, गेंदा, चम्पा, कनैर, अड़उल, धतूरा, भांग, रजनीगंधा, अपराजिता, हजारों की संख्या में कमलपुष्प, कपूर, अगरबत्ती, धूपदीप नाना प्रकार के ऋतुफल मिष्ठान्न व  नागराज के साथ रजतपात्र सामग्रियों के साथ प्रतिदिन श्रृंगार पूजन सम्पन्न किया जाता है।


अरेराज सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर के महंत सह महामंडलेश्वर स्वामी रविशंकर गिरि महाराज ने बताया कि देवाधि देव महादेव पर एक लोटा जल व एक वेलपत्र चढ़ाने वाले  भक्त पर भी भगवान शिव खुश हो जाते हैं। इसी बीच भगवान का श्रंगार पूजन का बहुत बड़ा महत्व होता है। श्रृंगार पूजन का मुख्य उद्देश्य होता है कि दिनभर श्रद्धालु भक्तों द्वारा पूजन अर्चन में किसी प्रकार की त्रुटि रह जाती है, उसका कल्याण व क्षमा याचना के लिए प्रतिदिन मंदिर पुजारी व महंत द्वारा स्तुति, गान, भजन षोडशोपचार विधि विधान पूर्वक श्रृंगार व आरती के बाद भगवान शिव के विश्राम व्यवस्था की परंपरा है। श्रावण माह की विशेष तिथियों में विशेष पद्धति से श्रृंगार पूजन की व्यवस्था होती है। विशेष श्रृंगार के दिन पूरा गर्भगृह कमलपुष्पों से भर जाता है। यह श्रृंगार पूजन प्रतिदिन रात्रि में कम से कम डेढ़ घण्टे तक चलता है, जो कि प्रदेश का दिव्य व भव्य श्रृंगार पूजन होता है। श्रृंगार पूजन करने से शिव भक्तों को मनोवांछित फल मिलते हैं। वही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।

सावन मास की दूसरी सोमवारी के अवसर पर श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो इसको लेकर मंदिर प्रबंधन व प्रशासन विशेष तैयारी में जुट गया है। रविवार को एसडीओ संजीव कुमार डीएसपी रंजन कुमार, सीओ पवन झा सहित प्रशासन ड्रॉप गेट, फिक्स गेट, ब्रेकेटिंग, पड़ाव स्थल का निरीक्षण किया गया। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर मंदिर परिसर से लेकर पूरे शहर में चप्पे चप्पे तीन लेयर में सृरक्षा कई मुकमल व्यवस्था किया गया है। वहीं भक्तों की भीड़ को देखते हुए दो बजे रात्रि में ही पट खोलने का निर्णय लिया गया है। भक्तों का जत्था जलभरी कर जलाभिषेक के लिए पहुंचने लगा है. सावन की दूसरी सोमवारी पर दो लाख से अधिक भक्तों की आने की उम्मीद है। पड़ोसी देश नेपाल, उतर प्रदेश सहित बिहार के भिन्न भिन्न जिलों से श्रद्धालु पवित्र नदियों से जलभरी कर जलाभिषेक व पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं।

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