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सिमरिया में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, छठे दिन दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने सुनीं राम कथा

सिमरिया में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, छठे दिन दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने सुनीं राम कथा

BEGUSARAI : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की धरती सिमरिया धाम में आयोजित रामकथा व साहित्य महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ गुरुवार को उमड़ पड़ी। प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू की कथा सुनने के लिए गुरुवार को आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। संत मोरारी बापू ने राम कथा सुनाते हुए  कहा कि किसी व्यक्ति की मूल प्रकृति कभी नहीं बदल सकती। लाख कोशिश के बावजूद समय-समय पर वह प्रकट हो जाती है, लेकिन एक मात्र सत्संग में ही वह शक्ति है जो किसी की मूल प्रकृति को भी बदल सकता है। रामकथा को सत्संग बतलाते हुए कहा कि संत का स्पर्श व सान्निध्य लोगों को जीवन जीने की राह सिखाता है। साधु, संत व भगवान की कोई जाति नहीं होती। साधु तो साधु है। राम कथा सत्संग है। जिसमें राम का स्वभाव हो उसी के शरण में जाओ। 

 मोरारी बापू ने  रामचरित मानस को मानसरोवर कहते हुए बताया कि हिमालय की गोद में स्थित मानसरोवर में जहां पानी है वहीं रामचरितमानस में प्रभु के गुणगान की वाणी है। मानसरोवर में डूबने व मरने का डर बना रहता है जबकि रामचरितमानस में जितना डूबोगे उतना ही तैरते जाओगे। भवसागर से पार उतर जाओगे।

राम कथा के दौरान मोरारी बापू ने श्रेष्ठ वाणी के लक्षण और सत्संग की महिमा  विस्तार से कही। बापू ने कहा कि जहां कहीं भी चित्त लगाकर राम की कथा का श्रवण किया जाय वहीं चित्रकूट है। रामकथा को सत्संग बतलाते हुए कहा कि संत का स्पर्श व सन्निध्य लोगों को जीवन जीने की राह सिखाता है। मोरारी बापू ने कहा कि धनवान होना सामर्थ्यवान नहीं है, बल्कि सबके प्रति समादार, शक्ति के बावजूद अहंकार रहित होना, प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण की भावना, बिना किसी इच्छा के कर्म करना तथा प्रभु के प्रति भक्ति रहना ही सामर्थ्यवान के लक्षण हैं। बापू ने कहा कि हमे सबके प्रति आदर का भाव रखना चाहिए।


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