सीवान: कोरोना के इस विकराल रूप में एक तरफ जहां ऐसे भी लोग हैं जो जान हथेली पर लेकर दूसरों की हर संभव मदद कर हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो जिनकी पहल से इंसानियत दम तोड़ दे रही है। अब इसे विविशता कहें या फिर कोरोना का खौफ, खबर सीवान जिले से हैं, जहां एक जज ने अपने वृद्ध पिता के शव को ही अपनाने से इंकार कर दिया और प्रशासन से ही उनका अंतिम संस्कार कराने का निवेदन कर दिया। हद तो तब हो गयी जब जज साहब ने इस कार्य के लिए अपने एक अधिवक्ता को नामित कर दिया। जाने पूरी रिपोर्ट
कोरोना से हुई थी मौत
दरअसल पूरी खबर यूं है कि जिले के डायर परिसर में बनाये गये डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में शनिवार की सुबह 70 साल के वृद्ध ब्रह्मदेव की कोरोना के कारण मौत हो गयी। वृद्ध के बेटे जीवनलाल जिले में ही एडीजे 06 के पद पर पदास्थापित हैं। मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी सूचना जज साहब को दी। जज साहब ने शव को लेने से ही बना कर दिया और कहा कि विवशताबस डेड बॉडी को हम अपने यहां नहीं ला सकते। इतना ही नहीं जज साहब ने जिला प्रशासन से अपने स्तर से दाह संस्कार करा देने का भी निवेदन किया। इधर डेड बॉडी अस्पताल में ही पड़ी रही।
जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद जज साहब ने आपदा ग्रुप के मेंबर व अधिवक्ता गणेश राम उर्फ ज्ञानरत्न को लिखित रूप में अंतिम संस्कार के लिए अधिकृत किया, जिसके बाद एसडीओ व नोडल अधिकारी की मौजूदगी में शव दिया गया और समाजसेवी निवास यादव के सहयोग से दाहा नदी के किनारे जज साहब के पिता का अंतिम संस्कार किया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसकी फोटोग्राफी भी कराई गई। बता दें कि जज जीवनलाल सीवान में अकेले रहते हैं। इनका पूरा परिवार अभी दिल्ली में है।