Desk. कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा. यह फैसला संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी बैठक में लिया है. साथ ही किसान संगठन ने 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत बुलाई है. इसमें कई किसान शामिल होंगे और 27 नवंबर को को आंदोलन के अगले कदम के बारे में विचार किया जाएगा. वहीं 24 नवंबर को होनी वाली केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इन कानूनों की वापसी के प्रस्ताव की मंजूरी पर चर्चा हो सकती है. कैबिनेट में कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है.
पीएम को पत्र लिखा जाएगा
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखने का भी फैसला किया है. इसमें इनकी कुछ मांगें होंगी, जिसमें एमएसपी गारंटी बिल के लिए कमेटी बनाने, बिजली शेष बिल को रद्द करने और पराली जलाने के लिए लाए गए कानून को रद्द करने की मांग की जाएगी. जब तक इन मांगों को भी नहीं माना जाता, तब तक संघर्ष जारी रखा जाएगा.
केंद्रीय कैबिनेट बैठक में मिलेगी मंजूरी
पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर दी है. साथ ही 24 नवंबर को होनी वाली केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इन कानूनों की वापसी के प्रस्ताव की मंजूरी पर चर्चा हो सकती है. कैबिनेट में कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है. बता दें कि पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में कहा था कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया गया है. होने वाले अगले संसद सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएंगी.
कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी थी. पीएम ने इस दौरान कहा था कि ये कानून किसानों के हित में थे, लेकिन हम किसानों को कानूनों की अहमियत समझा नहीं पाए, इसलिए तीनों कानून वापस लिए जा रहे हैं. अगले संसद सत्र में इसे रिपेल कर दिया जाएगा.
किसान संगठन अपनी मांगों पर अड़े
वहीं पीएम मोदी की घोषणा से किसानों में उत्साह है. किसान इसे अपनी बड़ी जीत की तरह देख रहे हैं, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि वे प्रदर्शन तबतक जारी रखेंगे, जबतक संसद की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. बता दें कि पीएम ने अपनी घोषणा के साथ ही साथ किसानों से वापस लौट जाने की अपील की थी.