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...तो कोरोना से कोहराम मचने के इंतजार में बैठी थी सुशासन की सरकार? पूरे देश मे भद्द पिटी तो डॉक्टर की ज्वाइनिंग से लेकर खुलने लगे कोविड अस्पताल

...तो कोरोना से कोहराम मचने के इंतजार में बैठी थी सुशासन की सरकार? पूरे देश मे भद्द पिटी तो डॉक्टर की ज्वाइनिंग से लेकर खुलने लगे कोविड अस्पताल

PATNA: बिहार में कोरोना ने कोहराम मचा दिया है।कोरोना संकट में बिहार की सरकार फेल साबित हुई।केंद्रीय टीम ने बिहार दौरे में कोरोना संकट की तैयारी की हवा निकाल दी।सुशासन की सरकार की पूरे देश मे भद्द पिट गयी।यूं कहें कि कोरोना काल मे एक बार फिर से सुशासन का भांडा फुट गया। स्थिति यह हो गयी कि लोगो बिना इलाज मरने लगे।किसी भी अस्पताल में कोरोना मरीजों का न तो इलाज हो रहा था और न जांच।कोविड अस्पताल के रूप में चिन्हित NMCH के कोविड वार्ड की तस्वीर देख लोगों की रूह कांप जा रही थी।

जब पूरे बिहार में हाहाकार मची इसके बाद नीतीश सरकार कुम्भकर्णी नींद से जागी है।अब तो दिखावे के लिए युद्ध  स्तर पर काम शुरू किए गए हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर से लेकर कोविड अस्पताल तक खुल रहे।अब लोग सवाल पूछ रहे कि अगर यही काम आज 3 महीने पहले कर लिए गया होता तो सूबे में यह नौबत नहीं आती।

कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने युद्ध स्तर पर तैयारी की है। विभाग द्वारा विभिन्न 13 विभागों में 929 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी है और उनके पदस्थापना के आदेश निर्गत कर दिये गये हैं। साथ ही नवनियुक्त विशेषज्ञ चिकित्सकों को सात दिनों के अंदर निर्दिष्ट जिलों में योगदान करने का निर्देश भी दिया गया है। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री, श्री मंगल पाण्डेय ने यहां दी। 

उन्होंने बताया कि इन विशेषज्ञ चिकित्सकों में स्त्री रोग, शिशु रोग एवं एनेथेसिया से जुड़े डॉक्टरों की संख्या ज्यादा है। उन्होंने बताया कि इनकी नियुक्ति से चिकित्सकों की कमी की भरपाई होगी, जिसका सीधा लाभ आम नागरिकों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि जिन विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति हुई है, उनमें एनेशथिसिया में 119, स्त्री रोग-180, शिशु रोग-165, फिजिशियन-109, जेनरल सर्जरी-148, हड्डी रोग-88, मनोचिकित्सक-04, चर्म रोग-18, रेडियोलॉजी-25, माइक्रोबाईलाॅजी-03, नेत्र रोग-22, पैथोलॉजी-14 एवं ई.एन.टी. के 34 विशेषज्ञ चिकित्सक हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इसके अलावा लगभग नौ हजार एक सौ गे्रड-ए नर्स (जी.एन.एम.) की नियुक्ति भी होने जा रही है। बिहार तकनीकी सेवा आयोग में इनकी चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। परिणाम प्राप्त होते ही नव चयनित जी.एन.एम. को विभिन्न जिलों में पदस्थापित कर दिया जायेगा। इससे नर्सिंग सेवा और ज्यादा सुदृढ़ हो जायेगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा लगभग चार हजार मेडिकल अफसर के चयन की प्रक्रिया भी चल रही है। इस तरह राज्य में विशेषज्ञ चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति से जहां स्वास्थ्य सेवा में मजबूती आयेगी वहीं इसका सीधा लाभ आम नागरिकों को मिलेगा।

उन्होंने बताया कि पटना के होटल पाटलिपुत्र अशोका में जहां पूर्व से ही 85 बेड का आईसोलेशन सेंटर संचालित है, वहीं अब 75 बेड का नया कोविड अस्पताल केन्द्र की शुरूआत की गयी है। आज स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय ने इस अस्पताल का निरीक्षण किया। इस अस्पताल में सभी बेड पर आॅक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही मरीजों के दैनिक उपयोग के सामानों की उपलब्धता भी है। इस अस्पताल में प्रत्येक पाली में दो डाॅक्टर और तीन पारा मेडिकल स्टाफ की तैनाती की गयी है। स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे परिसर का निरीक्षण किया एवं चिकित्सकों से बातचीत की। साथ ही होटल में जारी रजिस्टेªशन एवं जांच केन्द्रों का भी निरीक्षण किया। उन्होंने आईसोलेशन सेंटर में भर्ती मरीजों से वीडियो कॉलिंग के माध्यम से बात की और उनका हाल-चाल जाना। सभी ने वहां की चिकित्सीय सुविधा, व्यवस्था एवं प्रबंधन की सराहना की एवं संतुष्टि व्यक्त किया।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पटना सिटी के कंगनघाट स्थित टुरिस्ट इन्फॉरमेशन सेंटर में दो सौ बेड का कोविड स्वास्थ्य केन्द्र प्रारंभ हो गया है। जिसमें 50 बेडों पर मरीजों को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोरोना मरीजों की चिकित्सा सेवा देने की दिशा में अग्रसर है। प्रत्येक दिन जांच की क्षमता एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार वृद्धि की जा रही है। राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक जांच में तेजी लायी गयी है। प्रत्येक दिन जांच की क्षमता बढ़कर 20 हजार से ज्यादा हो गई है। इसका लाभ   प्रभावित लोगों को मिल रहा है।  

स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दी गई इस जानकारी के बीच सबसे अहम सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना के शुरुआती दौर में ही यह सारे कदम क्यों नहीं उठाए गए। क्या सरकार इस बात के इंतजार में बैठी थी कि कोरोना जब अपने चरम पर पहुंच जायेगा तो देखा जायेगा। 

सरकार द्वारा आज जो कदम उठाए जा रहे है अगर कोरोना के शुरुआती दौर में ही इसे पूरा कर लिया गया होता तो शायद कोरोना पर काबू पाने के लिए इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती। 

विवेकानंद की रिपोर्ट 

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