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'कभी हमारा तो कभी आपका यार है, असली बेवफा तो नीतीश कुमार है', क्या बेवफा नीतीश को एक बार फिर अपना पाएगी bjp?

'कभी हमारा तो कभी आपका यार है, असली बेवफा तो नीतीश कुमार है', क्या बेवफा नीतीश को एक बार फिर अपना पाएगी bjp?

PATNA: कभी हमारा तो कभी आपका यार है, असली बेवफा तो नीतीश कुमार है... ये स्लोगन तो याद ही होगा, पिछले साल बीजेपी ने यह स्लोगन नीतीश कुमार के लिए दिया था। अब भी कई जगह यह स्लोगन देखने को मिल जाएगा। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि इस स्लोगन का इतने दिन बाद चर्चा क्यों? दरअसल, कड़ाके की ठंड में बिहार की राजनीति में गर्म है। एक बार फिर सियासी बाजार में सीएम नीतीश कुमार के पाला बदलने की खबरें तेज हो गई है। आलम यह है कि सीएम कब राजद खेमे को छोड़ बीजेपी का दामन थाम ले यह कुछ कहा नहीं जा सकता है। अब ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बीजेपी नीतीश कुमार को अपना पाएगी? बीजेपी के कार्यकर्तों ने कई बार अपने बयानों ने नीतीश कुमार को पलटू राम, विश्वास खो चुके सीएम, और बेवफा तक करार दिया है। ऐसे में सीएम नीतीश के पाला बदलने की यह अटकलें कई सवाल खड़े कर रहे हैं।

कई बार बदल चुकें है पाला 

मालूम हो कि, सीएम नीतीश पिछले 22 सालों में कई बार अपना पाला बदल चुके हैं। सीएम नीतीश पहले 1994 में अपने पुराने सहयोगी लालू यादव का साथ छोड़ जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन वो इसमें बुरी तरह हारे। जिसके बाद सीएम नीतीश ने 1996 में बीजेपी से हाथ मिला लिया। दोनों ने 2005 में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा और इस गठबंधन की शानदार जीत मिली। फिर अगले 13 सालों तक दोनों जदयू और बीजेपी की दोस्ती जारी रही। 

17 साल बाद छोड़ा बीजेपी का साथ

वहीं 2013 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपना 17 साल पुराना नाता तोड़ दिया। जिसके बाद 2015 के विधानसभा में जदयू राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ी और राज्य में करीब 20 महीने तक लालू नीतीश की गठबंधन की सरकार चली। फिर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच खटपट की खबरें सामने आने लगी और 2017 में सीएम नीतीश ने राजद का साथ छोड़ दिया। जिसके बाद बीजेपी ने नीतीश कुमार का समर्थन दिया और नीतीश कुमार एक बार फिर सीएम बन गया। बता दें कि, 2022 में सीएम नीतीश ने बीजेपी का साथ कर लालू यादव के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई जो अबतक जारी हैं, और एक बार फिर सीएम नीतीश के पाला बदलें की अटकलें शुरू हो गई है।

अपनी ही बातों पर नहीं टीकते सीएम

नीतीश कुमार हर बार अलग अलग बयान देते हैं उनके बयान में कितना दम है यह इससे भी समझा जा सकता है कि 2014 में बीजेपी से अलग होने के बाद उन्होंने कहा था मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे लेकिन 2017 में बीजेपी के साथ चले गए थे।इसके बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने रहे और तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया लेकिन 2017 में आरजेडी से इसलिए अलग हुए क्योंकि तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था और नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री से इस्तीफा देने के लिए कहा था लेकिन तेजस्वी यादव ने इस्तीफा देने से मना कर दिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन तोड़कर बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गए।

मर जाएंगे लेकिन बीजेपी में नहीं जाएंगे

एनडीए गठबंधन में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि हम भ्रष्टाचार से समझौता नहीं कर सकते हैं। वहीं, इसके बाद 8 अगस्त 2022 को फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए। वहीं सीएम नीतीश ने कहा है कि वह मर जायेंगे लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। लेकिन उनके बीजेपी के साथ जाने की अटकलें तेज है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सीएम नीतीश जल्द की राजद का साथ छोड़ बीजेपी के साथ जा सकते हैं। अब देखने वाली बात यह है की क्या इतने बार पाला बदलने वाले सीएम नीतीश पर बीजेपी एक बार भी भरोसा कर पाएगी, क्या बीजेपी बेवफा नीतीश कुमार को एक बार फिर अपना पाएगी। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इन दिनों बीजेपी सीएम नीतीश को लेकर नरमी बरती रही है। बीजेपी नेता सीएम नीतीश के बजाए राजद सुप्रीमो लालू यादव को अपने निशाने पर ले रहें हैं।

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