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सामुदायिक किचन में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां, खाने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

सामुदायिक किचन में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां, खाने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

 VAISHALI : सामुदायिक किचन में सोशल डिस्टेंसिंग धज्जियाँ उड़ाने का मामला सामने आया है. खाने को लेकर सामुदायिक किचन सेंटर पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ गयी. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने को लेकर सामुदायिक किचन सेंटर पर कोई इंतजाम नहीं दिखा. बिहार के वैशाली जिले से जो तस्वीर सामने आयी है. उसे देखकर कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला रचित वो पंक्ति याद आ जाती है.'' मुठ्ठी भर दाने को  भूख मिटाने को, मुँह फटी झोली को फैलाता, दो टूक कलेजों को करता पछताता पथ पर आता ''. कोरोना महामारी को लेकर सूबे में लॉक डाउन लग गया तो गरीब लोगों के सामने खाने पीने की समस्या को देखते हुए सरकार ने उनलोगों के लिए सामुदायिक किचन खोला. जहां गरीब परिवार के लोगों के लिए पका पकाया भोजन की व्यवस्था किया गया. 

लेकिन कुव्यवस्था का आलम यह कि लोग कोरोना महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने का कोई इंतजाम नहीं किया गया. गरीब लोग भूख से पेट में लगी आग को बुझाने में यह मंत्र भूल गए दो गज की दूरी मास्क है जरूरी. दरअसल पूरा मामला वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के मनोरा का है.जहां सामुदायिक किचन में खाने के लिए लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गयी. बच्चे बूढे सभी खाने के लिए भीड़ जुटाए खड़े है. लेकिन इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का कोई खयाल नहीं रहा. इन लोगों को लग रहा है की जैसे कोरोना का इन्हें कोई खौफ नहीं है. 

हालांकि सामुदायिक किचन सेंटर पर लोगों को खाने पीने का शानदार व्यवस्था था. लेकिन लोगों की भीड़ नियंत्रण करने का कोई इंतजाम नहीं दिखा. सामुदायिक किचन के संचालक का कहना है कि खाने के लिए काफी संख्या में लोग चले आते है जिन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है.

वैशाली से राजकुमार की रिपोर्ट 


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