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साउथैम्पटन में पुजारा का हल्लाबोल, इंग्लिश गेंदबाजों की खोल दी पोल

साउथैम्पटन में पुजारा का हल्लाबोल, इंग्लिश गेंदबाजों की खोल दी पोल

चेतेश्वर पुजारा, टीम इंडिया का एक ऐसा खिलाड़ी, जिसे टेस्ट सीरीज की शुरुआत होने से पूर्व हमेशा कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। हरवक्त इस प्रतिभाशाली क्रिकेटर पर प्लेइंग 11 से बाहर होने की तलवार लटकती रहती है। ऐसा लगता है कि वन-डे और फटाफट क्रिकेट नहीं खेलने का खामियाजा इस खिलाड़ी को भुगतना पड़ता है क्योंकि सीमित ओवर फॉर्मेट में कोई दूसरा बल्लेबाज धाकड़ खेल का प्रदर्शन कर नंबर तीन की पोजिशन हथिया लेता है और फिर इसतरह शुरू हो जाती है टेस्ट क्रिकेट में नंबर तीन पोजिशन के लिए नूराकुश्ती लेकिन लंबे फॉर्मेट में उक्त बल्लेबाज के फ्लॉप होने के बाद थक-हारकर मैनेजमेंट को फिर से पुजारा पर भरोसा करना पड़ता है लेकिन अंतिम एकादश से लगातार अंदर-बाहर होने के बावजूद भी हतोत्साहित न होते हुए तकनीक रूप से दक्ष ये खिलाड़ी अपने टेंपरामेंट के सहारे हरबार खुद को साबित करता है।

पुजारा ने फिर किया खुद को साबित

स्पेकसेवर्स टेस्ट सीरीज के पहले टेस्ट मैच (एजबेस्टन) में भी टेस्ट क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा के ऊपर पर लोकेश राहुल को तरजीह दी गयी थी और प्लेइंग 11 में शामिल किया गया था लेकिन सलामी बल्लेबाजों के साथ-साथ फर्स्ट डाउन पर केएल राहुल के फेल होने के बाद एकबार फिर चेतेश्वर पुजारा को टीम में शामिल किये जाने की मांग पूर्व दिग्गज क्रिकेटर्स की तरफ से उठने लगी, जिसके बाद दूसरे यानी लार्ड्स टेस्ट में पुजारा को अंतिम एकादश में शामिल किया गया। हालांकि इस टेस्ट में वे शेष अन्य बल्लेबाजों की तरह ही फ्लॉप हुए और टीम के लिए कुछ ख़ास योगदान नहीं कर सके। क्रिकेट के मक्का लार्ड्स में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहली पारी में 1 और दूसरी पारी में मात्र 17 रन ही बना सके थे लेकिन तीसरे टेस्ट यानी नॉटिंघम में उन्होंने एकबार फिर से अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया और दूसरी पारी में शानदार अर्धशतक (72 रन) ठोक डाला। त्याग, तपस्या और समर्पण की प्रतिमूर्ति चेतेश्वर पुजारा ने चौथे टेस्ट (साउथैम्पटन) में आलोचकों को करारा जवाब देते हुए अपनी अहमियत बतायी और पहली पारी में इंडिया की डूबती नैया का खेवैया बनकर टीम को मंजिल तक पहुंचाया और नाबाद 132 रनों की पारी खेल करियर का 15वां शतक ठोक डाला।

आलोचकों को क़रारा जवाब

फटाफट क्रिकेट के इस दौर में सौराष्ट्र के बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा पर हरवक्त उंगलियां उठती हैं। क्रिकेट आलोचक हमेशा उनकी स्ट्राइक रेट और धीमी बल्लेबाजी को लेकर सवाल खड़े करते हैं लेकिन हर मर्तबा वे उन्हें ग़लत साबित करते हैं। याद कीजिए श्रीलंका दौरा, जहां कोलंबो के सिंहलीज स्पोर्ट्स क्लब मैदान के ग्रीन टॉप विकेट पर चेतेश्वर पुजारा ने बतौर ओपनर शानदार शतक लगाया था और अपनी अहमियत साबित की थी। इसके पूर्व वे लगातार प्लेइंग 11 से अंदर- बाहर हो रहे थे। इस शतक के बाद उन्हें कुछ दिन फिर से टेस्ट मैचों की अंतिम एकादश में शामिल किया जाता रहा लेकिन हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में भी उनपर धीमी बल्लेबाजी का ठप्पा लगाकर शुरुआती टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया था लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों की नाकामी के बाद वे फिर से अंतिम एकादश में शामिल किये गये। दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ जोहानिसबर्ग की सबसे ख़राब विकेट पर दृढ़ता से बल्लेबाजी करते हुए पुजारा ने पहली पारी में ही अर्धशतक जड़कर आलोचकों के मुंह पर क़रारा तमाचा मारा था लेकिन इसके बावजूद भी फिर पुरानी कहानी दोहरायी जाने लगी। इंग्लैंड टूर से पूर्व काउंटी क्रिकेट में बुरे प्रदर्शन की तोहमत एकबार फिर उनपर लगायी गयी थी लिहाजा दौरे के पहले ही मैच यानी एजबेस्टन में आउट ऑफ फॉर्म क़रार देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया लेकिन लार्ड्स में अंतिम एकादश में वापस आने के बाद पुजारा ने ये जता दिया है कि मौजूदा टेस्ट क्रिकेट के इस दौर में उनके बग़ैर टीम इंडिया की परिकल्पना नहीं की जा सकती।

साउथैम्पटन में पुजारा की ठोस बल्लेबाजी

इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले जा रहे साउथैम्पटन टेस्ट की बात की जाए तो शुरुआती झटकों के बाद टीम इंडिया की पारी एकबार फिर लड़खड़ाती दिख रही थी लेकिन इस होनहार बल्लेबाज ने काउंटी क्रिकेट की बुरी यादों को परे रखते हुए धैर्य के साथ बल्लेबाजी की और विराट कोहली के साथ ठोस साझेदारी की। चेतेश्वर पुजारा ने इस पारी के दौरान अपना खाता 12वीं गेंद पर खोला और फिर सैम करन की गेंद पर ऑफ ड्राइव खेलकर 36वीं गेंद पर पहला चौका जड़ा। आमतौर पर इंग्लिश गेंदबाज विराट कोहली पर ही फोकस रहते हैं और आउट करने की रणनीति बनाते रहते हैं लेकिन चौथे टेस्ट की पहली पारी में पुजारा ने अंग्रेजों को उनपर भी ग़ौर करने के लिए मजबूर कर दिया। बायें हाथ के तेज़ गेंदबाज सैम करन की गेंदों को बेहतरीन अंदाज में बाउंड्री पार पहुंचा रहे पुजारा ने उन्हें राउंड द विकेट आने के लिए मजबूर किया और मानसिक तौर पर जीत हासिल कर ली। इस पारी के दौरान पुजारा को पुछल्ले बल्लेबाजों का भी भरपूर साथ मिला, जिसकी वजह से उन्होंने 257 गेंदों पर 16 चौकों की मदद से करियर का 15वां शतक जड़ डाला।

पुजारा के बग़ैर आंकड़ें नहीं देते जीत की गवाही 

विदित है कि चेतेश्वर पुजारा के बग़ैर आंकड़ें भी टीम इंडिया की जीत की गवाही नहीं देते हैं। रिकॉर्डबुक पर नज़र डालें तो दिलचस्प आंकड़ें सामने आते हैं। चेतेश्वर पुजारा की ग़ैरमौजूदगी में टीम इंडिया का प्रदर्शन साधारण हो जाता है, जीत का स्तर अचानक से गिर जाता है। आंकड़ों पर गौर करें तो पुजारा के बग़ैर टीम इंडिया ने कुल 23 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें मात्र 6 मैचों में ही जीत नसीब हुई है जबकि 10 टेस्ट मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। 7 टेस्ट मैच ड्रॉ हुए हैं लेकिन जब-जब चेतेश्वर पुजारा अंतिम एकादश के हिस्सा रहे हैं, तब-तब टीम इंडिया ने झंडे गाड़े हैं। अबतक 58 टेस्ट मैचों में चेतेश्वर पुजारा ने देश का प्रतिनिधित्व किया है। इनमें टीम इंडिया ने 33 मैच जीते हैं जबकि 12 में हार। इस भरोसेमंद बल्लेबाज के टीम में शामिल होने के बाद विजयी प्रतिशत 56.90 हो जाता है लिहाजा साउथैम्पटन टेस्ट में पुजारा की इस पारी के बाद अब उन्हें तवज्जो दी जाएगी और प्लेइंग 11 में बरकरार रखा जाएगा।

रिकॉर्डबुक में चेतेश्वर पुजारा

टेस्ट: 60 मैचों में 49.30 की औसत से कुल 4635 रन,

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन – अहमदाबाद में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नाबाद 206 रन

विशेष उपलब्धि: करियर में तीन दोहरे शतक, 140 रन से ऊपर 5 शतक

फर्स्ट क्लास: 175 मैचों में 53.86 की औसत से कुल 13627 रन, सर्वश्रेष्ठ

प्रदर्शन- 352 रन

साभार - प्रसून पांडेय, पत्रकार

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