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SPECIAL STORY: गया के प्रसिद्ध ढेलमरवा बाबा, जहां सिर्फ ये करने से पूरी हो जाती है हर मन्नत, जानें क्या है यहां की विशेषता

SPECIAL STORY:  गया के प्रसिद्ध ढेलमरवा बाबा, जहां सिर्फ ये करने से पूरी हो जाती है हर मन्नत, जानें क्या है यहां की विशेषता

GAYA: आस्था के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। इसी क्रम में बिहार के गया में आस्था का अनोखा स्वरूप देखा जा सकता है। यहां ढेलमरवा बाबा हैं। 100 साल से भी ज्यादा समय से ढेलमरवा बाबा के प्रति अनोखी आस्था चली आ रही है। मन्नत मांगनी हो या शुभ कार्य के लिए निकलना हो, तो लोग यहां पांच पत्थर जरूर फेंकते हैं।

गया के सोनपुर गांव में है ढेलमरवा बाबा 

गया जिले के सोनपुर गांव में ढेलमरवा बाबा हैं। उनके प्रति आस्था देखते ही बनती है, जो भी व्यक्ति उस रास्ते से गुजरता है। वह पांच ढेले (छोटे-छोटे पत्थर) जरूर फेंकता है। यह स्थान गोरैया मंदिर के समीप है। ढेलमरवा बाबा के संबंध में कहानी काफी दिलचस्प है। लोग बताते हैं, कि अधिकांश लोगों का मानना है कि उन्होंने जो भी मन्नत मांगी, या यहां से ढेलमरवा बाबा को पांच पत्थर अर्पित कर निकले तो मनोकामना पूर्ण हो गई।

गौरैया मंदिर के समीप रहे एक पिंडी से बढ़ती चली गई आस्था 

ढेलमरवा बाबा की कहानी काफी दिलचस्प है। बताया जाता है, कि गया का सोनपुर गांव में गौरैया मंदिर है। इसी के ठीक सामने एक स्थान पर एक पिंडी थी। इस पिंडी पर लोग पत्थर फेंक कर अपनी श्रद्धा जताते थे। सैकड़ों साल पूर्व से जो यह धार्मिक चलन शुरू हुआ, तो वह रुका नहीं और आज भी यह आस्था जारी है। ढेलमरवा बाबा की इस पिंडी पर पत्थर फेंक कर आस्था का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह रुका नहीं और आज भी यह सिलसिला जारी है। इस मार्ग से गुजरने वाले जो भी लोग होते हैं, वह यहां पहुंचते ही पांच ढेले यहां जरूर फेंकते हैं और उसके बाद यात्रा करते हैं।

पत्थरों का बना टीला

वहीं, यहां कि आस्था इस कदर फैली है, कि बिहार के अलावा दूसरे राज्यों से भी लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं, क्योंकि इस ढेलमरवा बाबा को मनोकामना पूर्ण करने वाले बाबा के रूप में भी माना जाता है। यही वजह है, कि दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और ढेला फेंक कर अपनी श्रद्धा जताते हैं और मन्नत मांगते हैं अथवा शुभ यात्रा के लिए निकलते हैं। अब यह स्थान छोटे से पिंडी से शुरू होकर एक बड़े टीले के रूप में बन गया है। इस पर आस्था के इतने पत्थर लोगों ने फेके हैं, कि यह टीला काफी ऊंचा हो गया है। हालांकि, टीला के एक हिस्से को थोड़ा काट दिया गया है, लेकिन अब भी यह पत्थरों का टीला मौजूद है और इसके प्रति लोगों की अटूट आस्था है।

 इतिहास पूर्वजों को भी नहीं था पता

इस संबंध में बबलू यादव जो कि यात्रा करने को निकले हैं और वह पांच पत्थर यहां पहुंचते ही ढेलमरवा बाबा को अर्पित करते हैं। बबलू यादव ने बताया कि इस स्थान की बड़ी महता है। ढेलमरवा बाबा मन्नतों को पूरा करते हैं। वहीं, यात्रा को भी सफल करते हैं। यह हमारे पूर्वजों से चला आ रहा है। हमारे पूर्वजों को भी याद नहीं था, कि यह कब से ढेलमरवा बाबा पर पांच पत्थर फेंकने का सिलसिला शुरू हुआ है। वही, इस संबंध में अजय कुमार, रामप्रवेश पासवान भी बताते हैं कि यहां की आस्था ऐसी है, कि दूर-दूर से लोग आते हैं। अनेकों लोगों की मन्नतें यहां से पूरी हुई है। मन्नत पूरी होने के बाद ऐसे लोग फिर आते हैं और पत्थर फेंक कर अपनी आस्था को दर्शाते हैं। ढेलमरवा बाबा के बारे में प्रसिद्ध है, कि मन्नत पूरी करते ही हैं, यात्रा भी सफल बनाते हैं। ढेलमरवा बाबा पर लोग पत्थर फेंकने अपनी कामना की पूर्ति को लेकर आते हैं। यहां पहुंचने वाला पांच पत्थर चुनते हैं और सर के ऊपर से पांच बार घूमाकर एक-एक कर पांचों पत्थरों को ढेलमरवा बाबा को अर्पित करते हैं। इसके बाद उन्हें प्रणाम कर निकलते हैं। '

गया से मनोज की रिपोर्ट

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