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प्राइवेट बसों के साथ भेदभाव कर रही है राज्य सरकार, हाईकोर्ट में संचालकों ने कहा करना पड़ रहा है घाटे का सामना

प्राइवेट बसों के साथ भेदभाव कर रही है राज्य सरकार, हाईकोर्ट में संचालकों ने कहा करना पड़ रहा है घाटे का सामना

PATNA : पटना हाई कोर्ट ने कथित तौर पर  प्राइवेट बस संचालकों के साथ भेदभाव करने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 दिनों में राज्य सरकार से जवाब दायर करने का निर्देश दिया।  

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुल ने कोर्ट को बताया कि पटना में बस के परिचालन के संदर्भ में प्राइवेट बस संचालक और सरकारी बस संचालक के बीच भेदभाव  किया जाता है। उनका कहना था कि जहां एक ओर प्राइवेट बस संचालकों को बैरिया भेज दिया गया है, वहीं दूसरी ओर सरकारी बसें गांधी मैदान और मीठापुर से चलाई जा रही है। ये एक भेदभाव की नीति है। 

इसकी वजह से प्राइवेट बस संचालकों को घाटा सहना पड़ रहा है। खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अराजकता की यह स्थिति उचित नहीं है।इस मामले पर सुनवाई 3 मार्च, 2022 को की जायेगी।

यह है घाटे का कारण

बता दें कि बीते अक्टूबर माह से पटना मीठापुर बस स्टैंड को नए बने बैरिया बस स्टैंड में शिफ्ट कर दिया गया था। उस समय यह कहा गया था बिहार परिवहन विभाग द्वारा संचालित बसों को भी बांकीपुर बस स्टैंड से वहीं पर शिफ्ट कर दिया जाएगा। लेकिन चार माह गुजरने के बाद बांकीपुर बस स्टैंड से ही प्रदेश के कई शहरों सहित दूसरे राज्यों के लिए बसों का संचालन किया जा रहा है। बैरिया बस स्टैंड की तुलना में बांकीपुर बस स्टैंड पहुंचना यात्रियों के लिए ज्यादा आसान है। जिससे प्राइवेट बस संचालक खुद को ठगे हुए महसूस कर रहे हैं। जबकि पहले यह स्थिति नहीं थी।

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