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आज भी लालू के फॉलोअर हैं नीतीश

आज भी लालू के फॉलोअर हैं नीतीश

PATNA – लालू प्रसाद वाकई बिहार की राजनीति में बड़े भाई हैं. छोटे भाई नीतीश कुमार ने अपने नए सियासी दांव से खुद इस बात को साबित कर दिया है. दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बगहा में भारतीय थारू कल्याण महासंघ के अधिवेशन में नया सियासी दांव फेंका था. नीतीश ने 2021 में होने वाली जनगणना के आधार पर अनुसूचित जनजाति वर्ग में आने वाले थारू समाज को आरक्षण बढ़ाने का भरोसा दिया है. नीतीश कुमार के इस एलान को आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है. मकसद जनगणना आधारित आरक्षण की सियासत का फायदा लेना है.

लालू ने सबसे पहले खेला जनगणना आधारित आरक्षण का कार्ड

छोटे भाई नीतीश कुमार ने जिस सेन्सस बेस्ड रिजर्वेशन पॉलिटिक्स की शुरुआत की है, बड़े भाई लालू प्रसाद उस कार्ड को 2015 में खेल चुके हैं. लालू प्रसाद ने सबसे पहले 2011 के जातीय जनगणना आंकड़े को सार्वजनिक करने और उस आधार पर आरक्षण में बदलाव की मांग की थी. नीतीश कुमार ने अब उसी कार्ड को खेलने के लिए 2021 का वक़्त तय किया है.

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नीतीश कुमार को सता रही वोट बैक की फ़िक्र

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार को वोट बैंक की चिंता सता रही है. हाल के दिनों में नीतीश सरकार ने एससी – एसटी के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी है. इसलिए नीतीश कुमार अगर सेन्सस बेस्ड रिजर्वेशन पॉलिटिक्स की राह पर बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ते हैं तो इसमें बहुत अचरज नहीं होना चाहिए. हालांकि यह तय है कि लालू प्रसाद और उनकी पार्टी भी नीतीश को आइना दिखाने को तैयार रहेगी.

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थारू समाज को मरहम लगाने की कोशिश

थारू समाज के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह एलान पुराने जख्मों को मरहम लगाने की कोशिश भी है. दरअसल थारू समाज अभी भी बगहा पुलिस फायरिंग की घटना को नहीं भूला है. 24 जून 2013 को पुलिस फायरिंग में थारू समाज के छह लोगों की मौत हो गई थी. लंबी जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों पर मामूली कार्रवाई ही हुई थी.

नीतीश ने लालू से सीखी है सियासत

बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद को बड़ा और नीतीश कुमार को छोटा भाई यूँ ही नहीं कहा जाता. जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बनाने के पहले नीतीश लालू प्रसाद की अगुआई में ही राजनीति करते रहे. यह बड़े और छोटे भाई का रिश्ता ही था जिसने महागठबंधन की बुनियाद रखी. सेन्सस बेस्ड रिजर्वेशन पॉलिटिक्स ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि नीतीश कुमार सियासी दांव खेलने के मामले में लालू प्रसाद के फॉलोअर हैं.

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