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ये मास्टर साहब कमाल हैं, स्कूल के बाद मुर्गे की चलाते हैं दुकान

ये मास्टर साहब कमाल हैं, स्कूल के बाद मुर्गे की चलाते हैं दुकान

सीतामढ़ी: आज तेज दौड़ती जिंदगी और बढ़ती महंगाई में रुपया कमाने का शॉर्टकर्ट रास्ता अपनाने वालो की संख्या बढ़ती जा रही है। जिस कारण हर जगह भ्रष्टाचार की जड़ जम चुकी है। जो लोग कुछ कर नही पाते वे बेरोजगारी तथा किस्मत का दोष अथवा सरकार व सिस्टम पर ठीकरा फोड़ रोना रोते रहते है. लेकिन ऐसे लोगों के लिए बिहार के सीतामढ़ी एक कसाई हेडमास्टर रोल मॉडल बने हुए है.

जिले के सोनबरसा प्रखंड के महुलिया उर्दू मकतब के हेडमास्टर मो नुरुल होदा बेरोजगारी दूर हटाने अथवा ईमानदारी के रास्ते भी तरक्की पाने का बेमिशाल उदाहरण बने हुए हैं। मो होदा महुलिया उर्दू प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर भी है और विद्यालय में छुट्टी के बाद भुतही बाजार चौक पर वर्षो से चिकेन काउंटर चलाते है,जहां उनके बच्चे भी उनकी मदद करते हैं. 

मो होदा की छह सन्तान है। जिसमे चार पुत्री व दो पुत्र है।एक पुत्री की शादी हो चुकी है।जबकि अन्य बच्चे अभी पढाई कर रहे हैं। हेडमास्टर होकर चिकेन काउंटर चलाने की क्या वजह है पूछने पर मो होदा ने बताया कि इंसानो को अल्लाह ईश्वर ने नेकी के लिए भेजा है। कोई भी काम किया जा सकता है और कोई काम छोटा नही है।ईमानदारी के रास्ते भी तरक्की पाई जा सकती है। विद्यालय के बाद व्यवसाय करता हूँ, क्योकि बच्चो की शिक्षा व परिवार का भरण पोषण के साथ ही तरक्की भी ईमानदारी के रास्ते ही पाने का लक्ष्य है. हराम की कमाई अल्लाह माफ़ नहीं करते और बच्चो का संस्कार भी इससे नही बनता है। 

समाजिक कार्यकर्ता मो कमर अख्तर ने हेडमास्टर के कार्यो व सोंच की तारीफ की, साथ ही कहा है कि शिक्षा सेवा के अलावे, समय का सदुपयोग कर मेहनत व ईमानदारी की कमाई का यह तरीका काबिले तारीफ है, और बेरोजगारों के लिए सिख भी है कि कोई काम छोटा नहीं होता, बस अच्छाई व ईमानदारी के साथ की जाए. छोटे 

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