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जन्मदिन विशेष: घर से भागे हुए लड़के की देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी...

जन्मदिन विशेष: घर से भागे हुए लड़के की देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी...

DESK: देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज जन्मदिन है. उतराखंड के पौडी गढ़वाल के छोटे से गांव पंचूर में जन्मे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुराना नाम अजय सिंह बिष्ट है. पांच जून 1972 को उतराखंड के राजपूत परिवार में जन्मे अजय सिंह बिष्ट गोरखपुर पहुंचकर योगी आदित्यनाथ बन गए. आज योगी  देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हैं. महज 26 साल की उम्र में संसद पहुंचने वाले योगी आदित्यनाथ 45 साल की उम्र में यूपी के सीएम बन गये. योगी आदित्यनाथ, एक ऐसा चेहरा जिसे लोग न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में हिंदुत्व का प्रबल चेहरा मानते है.

इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है. साल 1989 में योगी ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं पास की और 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की पढ़ाई पूरी की. साथ ही वे छात्र जीवन में ही वो राममंदिर आंदोलन सक्रिय हो गये थे.

आजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्याथ बनने की कहानी 

90 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौरान योगी आदित्यनाथ की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक कार्यक्रम हुई थी. इस मुलाकात ने अजय के जीवन को इतना प्रभावित किया कि इसके कुछ दिनों बाद योगी अपने माता-पिता को बिना बताए  भाग कर गोरखपुर चले गए. जहां संन्यास धारण करने का निश्चय लेते हुए गुरु से दीक्षा ले ली. महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने वाले थे. जिन्होंने अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ बनाने का काम किया.

गोरखनाथ मंदिर के महंत की गद्दी का उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे, उसी सीट से योगी 1998 में 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा पहुंचे और फिर लगातार 2017 तक पांच बार सांसद रहे.

सियासत में कदम रखने के बाद योगी आदित्यनाथ की छवि एक कठोर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर उभरी. सांसद रहते हुए गोरखपुर जिले को अपने नियम अनुसार चलाने और त्वरित फैसलों से सबको चकित किया. इसी के चलते योगी के सियासी दुर्ग को न तो मुलायम सिंह का समाजवादी भेद पाया और न ही मायावती की सोशल इंजीनियरिंग काम आई. गोरखपुर में योगी का हिंदुत्व कार्ड ही हावी रहा.

योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी खासियतों में एक है कि वह जनता से सीधा संवाद करने में विश्वास रखते हैं. 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन  योगी ने बाज़ी मार ली. योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छा को जाहिर कर दिया. हालांकि प्रदेश में हुए एनकाउंटरों के कारण विपक्ष ने उंगलियां भी उठाईं, लेकिन कानून-व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका खास प्रभाव नहीं हुआ. कोरोना संकट में सीएम योगी सीधे तौर पर सक्रिय नजर आए हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता में और भी इजाफा हुआ है.


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