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एक ऐसा रेलवे स्टेशन जो है बेनाम, अनोखे स्टेशन की अनोखी कहानी

एक ऐसा रेलवे स्टेशन जो है बेनाम, अनोखे स्टेशन की अनोखी कहानी

लोहरदगा रेलवे स्टेशन (झारखण्ड) से आगे बढ़ने पर 14 किलोमीटर आगे एक रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन में कहीं आपको स्टेशन का नाम नहीं मिलेगा। हालांकि रेलवे के सरकारी दस्तवेजों में, टिकट पर बड़की चांपी रेलवे स्टेशन का नाम दर्ज होता है, और यही सारे विवाद का कारण भी है. स्टेशन का अपना कोई आधिकारिक नाम नहीं है. चलिए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं

दरअसल इस स्टेशन को लेकर दो गांव बीच झड़प चल रही है जिसके कारण इसका नामकरण नहीं हो पा रहा है. बाहर से आने वाले यात्रियों को बेहद परेशानी होती है. 

यह स्टेशन कमले गांव में स्थित है। ग्रामीणों को इस बात पर एतराज है जब स्टेशन कमले गांव में है तो नाम बड़की चांपी क्यों होगा। स्टेशन का नाम लिखा गया तो ग्रामीणों ने उसपर कालिख पोत डाली और मिटा डाला। इसी वजह से विवाद जारी है और साल 2011 से लेकर अब तक ये स्टेशन बिना नाम का ही है। मार्च 2017 में बड़की चांपी से टोरी तक रेल सेवा शुरू हो गई। फिर भी हालत जस की तस है.

कमले गांव वालों का कहना है की स्टेशन उनकी जमीन पर बना है और उनके लोगों ने ही मजदूरी की है फिर क्यों बड़की चांपी का नाम स्टेशन पर लिखा है. टिकट पर बड़की का नाम  होने के बावजूद स्टेशन पर नाम नहीं लिख सकते 

बड़की चांपी रेलवे स्टेशन के स्टेशन प्रबंधक प्रीतम कोयो ने बताया कि वे जब से यहां आए हैं, स्टेशन का नाम लिखा नहीं देखा। कुछ समय पहले रेलवे ने यहां नाम लिखने की कोशिश भी की थी। तब ग्रामीणों के विरोध से फिर से नाम लिखा नहीं जा सका। 

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