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समाज की बेड़ियों को तोड़ इन किन्नरों ने लिखी अपनी कहानी

समाज की बेड़ियों को तोड़ इन किन्नरों ने लिखी अपनी कहानी

किन्नर हमारे समाज का वो हिस्सा है जो रहता हमारे बीच ही है लेकिन फिर भी हम उसे अपनाते नहीं है. इस सदी में भी जहाँ कोर्ट ने किन्नर समाज के लिए बहुत से कदम उठाये है, वही दूसरी तरफ हम उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाएं है, यहाँ तक की समाज में एक इज़्ज़त तक नई दे पाएं।

आज हम आपको उन किन्नर के बारे में बताने वाले है जिन्होंने अपने दम पर एक लड़ाई लड़ी और जीत हासिल कर अपना एक नाम बनाया है.

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी 

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वह एक ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता है और कई लोगों के लिए एक प्रेरणा है। लक्ष्मी, जो हिजरा समुदाय के रूप में पहचानी जाती थीं, उन्हें एक बल माना जाता है। मुंबई में स्थित एक हिंदी फिल्म अभिनेत्री और भरतनाट्यम नर्तक, लक्ष्मी हमेशा नृत्य रूप और उसमें इस्तेमाल की जाने वाली खूबसूरत वेशभूषा से मोहक थे. बचपन से लेकर फिल्म इंडस्ट्री आने तक लक्ष्मी को हमेशा ही समाज से धुत्कार मिला था.

गौरी सावंत 

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अपने इन्हें विक्स के एडवेर्टीस्मेंट में देखा होगा। जहां गौरी एक माँ के रूप में नज़र आती है. असल ज़िन्दगी में भी गौरी एक नेक दिल इंसान होने के साथ एक बच्ची की माँ है. वो बच्ची जिसे उसके माँ-बाप ने छोड़ दिया था. गौरी ने समाज की परवाह ना करते हुए एक मासूम को ज़िन्दगी दी.

कल्कि सुब्रमणियम 

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किन्नर समाज सुधारक के तौर कल्कि को हारवर्ड यूनिवर्सिटी में बतौर स्पीकर बुलाया गया था. जहाँ उन्होंने अपने सफर के बारे में बताया और किन्नर समाज के स्वीकारता पर बात की थी.

जोईता मंडल 

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भारत की पहली किन्नर जज, नार्थ दिनाजपुर वेस्ट बंगाल में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज है. जोईता का सफर एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में हुआ जिसके बाद, मंडल ने अपने समुदाय के सुधार के लिए काम किया, ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ 'लिंग पूर्वाग्रह' के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजना।

मोना वरोनिका 

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आंध्र प्रदेश का मोना वरोनिका कैंपबेल भारत का पहला और एकमात्र प्लस-साइज ट्रांसजेंडर मॉडल बन गया. कई लोगों की तरह, मोना को भी समाज के विभिन्न हिस्सों से भेदभाव और विपक्ष का सामना करना पड़ा। अपने बचपन से, मोना ने एक महिला होने और फैशन उद्योग में शामिल होने का सपना देखा था

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