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बिहार विधानसभा में रमई राम के नाम ऐसा रिकॉर्ड, जिसे कोई नहीं तोड़ पाया, अब निधन के बाद राजकीय सम्मान की घोषणा

बिहार विधानसभा में रमई राम के नाम ऐसा रिकॉर्ड, जिसे कोई नहीं तोड़ पाया, अब निधन के बाद राजकीय सम्मान की घोषणा

PATNA : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रमई राम का आज पटना मेंदाता अस्पताल मे निधन हो गया। उनके निधन पर बिहार की राजनीति में दलित राजनीति का दौर समाप्त हो गया है। बात अगर रमई राम के राजनीतिक जीवन की करें तो वह नौ बार बोचहां से विधायक रहे। इतना ही नहीं, वह करीब 20 साल तक राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों में मंत्री भी रहे। इस लिहाज से वह संभवत: बिहार विधानसभा में अबतक सबसे अधिक समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं। वह मुजफ्फरपुर के बोचहां (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। 

सीएम ने जताया शोक

रमई राम के निधन पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी शोक जाहिर किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि रमई राम राज्य सरकार के अलग अलग विभागों में लंबे समय तक मंत्री रहे।  उन्होंने मेरे साथ मेरे मंत्रिमंडल सहयोगी के रुप में मंत्री पद की जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया था। इस दौरान सीएम ने स्व. रमई राम की पुत्री गीता कुमारी से फोन पर बात की और सांत्वना दी। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि स्व. रमई राम का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

40 साल विधायक बनने का रिकॉर्ड

 40 साल विधायक और 20 साल मंत्री रहे हैं। बिहार में इतने अधिक समय तक मंत्री व विधायक अब तक कोई भी नहीं रहा। बिहार में सभी विधायकों से अधिक पेंशन भी उन्हें मिलता था। वर्ष 1944 में जन्मे रमई राम लंबे समय तक राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहे। उनके निधन पर शोक की लहर है। जिले के औराई विधायक एवं राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने बयान जारी कर कहा कि पूर्व मंत्री के निधन से मर्माहत हूं।

वहीं जदयू अध्यक्ष ने लिखा कि बिहार सरकार के पूर्व मंत्री श्री रमई राम जी के निधन की दुःखद खबर मिली है। उनका संपूर्ण जीवन दलित उत्थान के लिये समर्पित रहा है। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। भगवान दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोक-संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करें। 

1980 से 2020 तक बोचहां को बना दिया था किला, नहीं लगा पाया था कोई सेंध

9 बार विधायक और 5 बार सरकार में मंत्री पद संभाल चुके रमई राम का बोचहां का गढ़ कहा जाता है। इस सीट पर 2020 में भी वीआईपी के मुसाफिर पासवान ने राष्‍ट्रीय जनता दल के रमई राम को 11 हजार से ज्यादा के मत अंतर से हराया था। यह सीट एक ऐसा सीट था जिसने पार्टी कोई भी हो रमई राम पर अपना भरोसा लंबे समय तक दिखाया. साल 1990 से 2015 तक सरकार किसी की भी रही हो लेकिन मंत्री पद पर रहे

हाल के कुछ महीने में राजद नेतृत्व से वह नाराज चल रहे थे। बोचहां उपचुनाव सीट के लिए उन्होंने राजद से अपनी बेटी के लिए टिकट देने की मांग की थी, लेकिन तेजस्वी यादव ने उनकी जगह अमर पासवान को टिकट दे दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को वीआईपी के टिकट से चुनाव में उतारा था। इस चुनाव के बाद राजद के साथ उनका रिश्ता लगभग खत्म हो गया था।

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