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ऐसी अव्यवस्था, विश्वास नहीं होता : एएनएम की बहाली के लिए हजारों की उमड़ी भीड़, कोरोना नियम हुए तार-तार

ऐसी अव्यवस्था, विश्वास नहीं होता : एएनएम की बहाली के लिए हजारों की उमड़ी भीड़, कोरोना नियम हुए तार-तार

KAIMUR : कोरोना काल में पूरे बिहार में बेरोजगारी का आलम क्या है यह नजारा कैमूर में आसानी से लोग देख सकते हैं। कैमूर जिले में एएनएम की बहाली के लिए बिहार के कोने-कोने से हजारों की संख्या में लोग सदर अस्पताल भभुआ पहुंचकर सुबह से ही धक्का-मुक्की कर रहे हैं। एएनएम की बहाली मात्र 3 महीने के लिए कोरोना काल में लोगों को इलाज मुहैया कराने के लिए किया जा रहा है, लेकिन लोगों को कोरोना का नियम पढ़ाने वाले सदर अस्पताल भभुआ में ही कोरोना नियमों को ताक पर रखकर कोविड नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। कुछ पुलिस वाले इस भीड़ में पहुंचे तो जरूर है लेकिन हालात देखकर वह भी वहां से नौ दो ग्यारह होने मे ही भलाई समझी। हजारों की संख्या में महिलाएं हाथों में आवेदन लेकर सिविल सर्जन कार्यालय के पास खड़े हैं। अस्पताल प्रशासन पर बदइंतजामी का लगा रहे हैं आरोप  अगर यही रहा हालात तो संक्रमण का बढ़ेगा खतरा।

व्यवस्था को लेकर जताई नारजगी

एएनएम की बहाली के लिए आइ महिलाएं और उनके परिजनों ने बताया कि सरकार कोरोना से बचाव को लेकर के एएनएम की बहाली 3 महीने के लिए कर रही है। वैसे हालात में सदर अस्पताल भभुआ में हजारों लोग उमड़ पड़े हैं। प्रशासन ने इसके लिए पहले से कोई इंतजाम नहीं कर रखा है। सुबह से उमस भरी गर्मी में खड़ा रहने के कारण कई महिलाएं बेहोश भी हो गई हैं । सदर अस्पताल को चाहिए था की बहाली प्रक्रिया अगर करनी थी तो पहले से मुकम्मल व्यवस्था यहां पर करना चाहिए था कि लाइन में लगकर सभी लोग बारी-बारी से आते और अपना फॉर्म जमा कर चले जाते, या फिर ऑनलाइन व्यवस्था फॉर्म जमा करने की और ऑनलाइन ही उनकी इंटरव्यू लेने की व्यवस्था रखनी चाहिए थी। आवेदन जमा करने पहुंची इन अभ्यर्थियों ने बताया कि इन सारी अव्यवस्थाओं के लिए अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार है। ऐसी स्थिति में कोरोना का संक्रमण भी तेज हो सकता है। कई महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चे को भी लेकर साथ में आई है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या स्थिति होगा। कोरोना से बचाव होगा या फिर यहां पर बहाली होगी।

स्वास्थ्य विभाग पर दर्ज होनी चाहिए केस

बहरहाल, जिस तरह की एएनएम बहाली के लिए आवेदन लेने को लेकर जिस तरह की व्यवस्था नजर आ रही है, उसके बाद जिला स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल खुल गई है। लोगों की मांग है कि स्वास्थ्य विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाना चाहिए, जिन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी।


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