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निर्जला उपवास रहकर सुहागिनों ने की वट सावित्री पूजा, पति के लम्बी उम्र की कि कामना

निर्जला उपवास रहकर सुहागिनों ने की वट सावित्री पूजा, पति के लम्बी उम्र की कि कामना

PURNIA : सोमवार को पति के लम्बी उम्र की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने निर्जला उपवास कर वट वृक्ष सावित्री की पूजा अर्चना की. पूर्णिया में वट वृक्ष की पूजा को लेकर सुहागिन महिलाएं सुबह से ही सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष की पूजा के लिए घर से बाहर निकल रही है. इन व्रतियों के पूजा की थाली बांस का पंखा, फूल, आम, लीची, खीरा, केला, मोली इत्यादि से सजी हैं. पूजा के दौरान महिलाएं बांस के बने पंखे से बरगद पेड़ को हांकती हैं. साथ ही वट के पत्ते को अपने सिर में लगातीं है.

वट वृक्ष व्रत के बारे में पंडित मिथिलेश पांडेय ने बताया कि ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु होने की कामना को लेकर करती है. ये व्रत सुहागिन महिलाएं कई युगों से करती आ रही है. इस व्रत की मान्यता है कि यमराज सत्यवान के प्राण को हर कर ले जा रहे थे. 

इसी समय उनकी पत्नी सावित्री भी यमराज के पीछे चल पड़ी. यमराज ने सावित्री को काफी समझाया और कहा ये विधि के विधान के विरुद्ध है. इसके बावजूद सावित्री नहीं मानी. बाद में सावित्री के हठ, उनकी निष्ठा और पतिव्रत को देखकर यमराज प्रसन्न हो गए. उन्होंने सावित्री से वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने चतुराई से अपने घर परिवार की खुशियाँ, राज-पाट और सौ पुत्रों का वरदान मांगा. यमराज सावित्री की चतुराई नही समझ पाए और तथास्तु कह दिया. 

इसके बाद भी जब यमराज उनके पति को ले जाने लगे तब सावित्री ने कहा कि प्रभु जब आप हमारे पति के प्राण हर लेंगें तो मैं पुत्रवती कैसे बनूंगी. जिसे सुनकर यमराज भी संशय में पड़ गए और अंततः उन्होंने सत्यवान के प्राण को वापस लौटा दिया. इसी दिन से यह व्रत मनाने की परंपरा चली आ रही है.

पूर्णिया से श्याम नंदन की रिपोर्ट


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