Hishikesh : प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और चिपको आंदोलन के अगुवा सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे। ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्होंने आखिरी सांस ली। 94 साल के बहुगुणा को पिछले 9 मई को कोरोना से संक्रमित होने के बाद यहां भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पर्यावरणविद् बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त हुए इसे देश की अपूरणीय क्षति बताया है।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बड़े प्रतीक में शुमार सुंदरलाल बहुगुणा ने 1972 में चिपको आंदोलन को धार दी। साथ ही देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप चिपको आंदोलन की गूंज समूची दुनिया में सुनाई पड़ी। यह सिर्फ संयोग है कि आज के ही दिन उन्होंने चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी और आज ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।