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सुपौल में कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नत रहमानी ने किया ऐलान, जीते तो बहेगी विकास की गंगा

सुपौल में कांग्रेस प्रत्याशी मिन्नत रहमानी ने किया ऐलान, जीते तो बहेगी विकास की गंगा

SUPAUL : सुपौल 30 वर्षों से एक निष्ठुर नेतृत्व की अगुवाई में ठिठुर गया. एक ऐसा नेता जिनसे सुपौल की जनता आम आवाम मिल ही नहीं पाती. दुःख-सुख का वह साथी नहीं हैं. न बाढ़ में, न सुखाड़ में, न बीमारी में, न त्रासदी में जो सुपौलवासियों का आंसू भी न पोंछ सकें. जो पीड़ा में साथ न दे सके. क्या किसी ने उन्हें आम लोगों को गले लगा उसका दुःख करते देखा है? किसी की पीड़ा-परेशानी में उनके साथ खड़े देखा है? क्या वह कभी सुपौल की गांव-गलियों में दिखे हैं, क्या वह जानते हैं कि सुपौल के लोग रोजी-रोटी के लिए शहर-शहर भटकते हैं? 

क्या उन्हें पता है कि एक बेहतरीन अस्पताल न होने के कारण सुपौल के लोग दिल्ली-पटना की दौड़ लगाने को विवश होते हैं? क्या उन्हें मालूम है कि 100-100 रुपये की मजदूरी के लिए सुपौल के आम लोग दूसरे राज्यों में जान जोखिम में डालने वाला काम करते हैं? न वह सुपौल को जानते हैं, न वह रोजी-रोजगार, शिक्षा, अस्पताल के लिए कुछ करेंगे तो ऐसे विधायक मंत्री की 30 साल से गुलामी हम क्यों करें? वैसे नेता से छुटकारा कब मिलेगा? सुपौल को इनसे मुक्ति चाहिए! ये बातें सुपौल से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मिन्नत रहमानी ने कही.   

उन्होंने कहा की अब बदलाव होगा, अब सच्चे विकास की बात होगी. अब होगी रोजगार और सरकारी नौकरी की बात होगी. दस लाख युवाओं को सरकारी नौकरी मिलेगी. सुपौल के 25-30 हज़ार युवाओं को सरकारी नौकरी मिलेगी. उन्होंने कहा की कम यहां की तकदीर बदलेंगे. रहमानी ने कहा की वह जानते हैं कि पढ़ने-लिखने, रोजी-रोटी के लिए पलायन का दर्द क्या होता है? मैट्रिक फर्स्ट डिवीजन से पास करने के बाद उन्हें अपना घर, गांव, शहर सुपौल छोड़ दिल्ली, पटना में भटकना पड़ा. यहां कोई अच्छा कॉलेज ही नहीं था, जहां वह पढ़ सकें, आज भी नहीं है. 

दिल्ली विश्वविद्यालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर बड़े-बड़े कॉरपोरेट में बड़े-बड़े ओहदे को संभाला. लेकिन सुपौल का दर्द उन्हें हमेशा कुछ नया कर गुजरने को प्रेरित करता रहा. आखिरकार, उन्होंने मोटी तनख्वाह की नौकरी छोड़ राजनीति को अंगीकार किया. सुपौल को सर्वश्रेष्ठ बनाने को सियासत में आए. दस साल कांग्रेस में संगठन की राजनीति की. लेकिन दिली तमन्ना तो सुपौल के लिए कुछ कर गुजरने को थी. कई बाढ़ में, सुखाड़ में, बीमारी में, लॉकडाउन में, नोटबंदी में आदि परेशानी में सुपौल के लोगों की खिदमत मिन्नत करते रहे. अब शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजी-रोजगार में सुपौल को अव्वल बनाना है. सुपौल में एक बेहतरीन महाविद्यालय, हर ब्लॉक में एक आदर्श हाई स्कूल, हर ब्लॉक में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, हर घर में कुटीर उद्योग, हर प्रखंड में बड़े उद्योग की रूपरेखा तैयार करना मिन्नत का लक्ष्य है. उन्होंने कहा की एक भी युवा मज़बूरी में रोजी-रोटी और शिक्षा के लिए पलायन नहीं करेगा. उन्होंने लोगों से इसके लिए सात नवंबर को वोट देने की अपील की. 

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