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कोई कानून तोड़े... बसों में आग लगाए तो पुलिस क्या करेगी? जामिया हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का दखल देने से इनकार

कोई कानून तोड़े... बसों में आग लगाए तो पुलिस क्या करेगी? जामिया हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का दखल देने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने जामिया और AMU हिंसा मामले में दखल देने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाई कोर्टों में जाने को कहा है। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई एस. ए. बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए, हाई कोर्ट क्यों नहीं गए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कानून तोड़ रहा है, पत्थर मार रहा है, बसें जला रहा है तो पुलिस क्या करेंगी? बेंच ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब याचिकाकर्ताओं ने यह कहा कि जामिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्रों पर दर्ज केस में उनकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाई कोर्टों में जाने को कहा है।


सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने पर नाराजगी जाहिर हुए बेंच ने वकीलों- इंदिरा जयसिंह और निजाम पाशा से कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ट्रायल कोर्ट की तरह नहीं ट्रीट कर सकते। बेंच ने कहा, 'हम दखल नहीं देंगे। यह कानून-व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जलीं? आप हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? हाई कोर्ट सुनवाई में सक्षम हैं।' सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि पुलिस ऐक्शन से नाराज स्टूडेंट अगर संबंधित हाई कोर्टों में जाते तो बेहतर होता।

इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि किसी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि हिंसा के दौरान 31 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। 20 गाड़ियों को आग लगाई गई। पुलिस के बिना इजाजत जामिया कैंपस में घुसने के आरोपों पर मेहता ने दावा किया कि प्रॉक्टर ने पुलिस से गुजारिश की थी। 

जामिया के एक छात्र की तरफ से पेश हुईं इंदिरा जयसिंहने अदालत से मांग करते हुए कहा कि देश के कई हिस्सों में छात्रों के खिलाफ FIR हो रही है, ऐसे में इसको रोकना चाहिए। हालांकि, जज ने कहा कि अगर कोई कानून तोड़ेगा तो हम FIR होने से कैसे रोक सकते हैं। कानून व्यवस्था को देखना कोर्ट का काम नहीं है।लेकिन जब कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या करेगी? कोई पत्थर मार रहा है, बस जला रहा है। हम पुलिस को FIR दर्ज करने से कैसे रोक सकते हैं?

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