PATNA : बिहार के नियोजित शिक्षकों के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। फर्स्ट हाफ में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने पुरानी बातों को ही दुहराया। अटॉर्नी जनरल का कहना था कि यदि वेतनमान से संबंधित नियोजित शिक्षकों की मांग को मान लिया जायेगा तो बाकी राज्यों के नियोजित शिक्षक भी ऐसी मांग करने लगेंगे।
अटॉर्नी जनरल ने पेश की पुरानी दलीलें
काफी देर तक बहस चली। अटॉर्नी जनरल ने पुरानी दलीलों को ही रखा। बाद में नियोजित शिक्षक संघ के वकीलों ने भी दलीलें पेश कीं। अब अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के मामले की सुनवाई जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और जस्टिस उदय उमेश ललित की खंडपीठ कर रही है।
कोर्ट रूम लाइव
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि एक ही स्कूल में पढ़ाने वाले एक शिक्षक को 70 हजार और एक को 26 हजार देने का क्या आधार है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि शिक्षकों को स्कूल के चपरासी से भी कम वेतन क्यों मिल रहा है ? फिलहाल अब शिक्षकों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यदि शिक्षकों का वेतन बढ़ जाता है, तो राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। कोर्ट ने कहा कि हम केवल इस बिंदु पर विचार करेंगे कि क्या समानता को सशक्त बनाना है या नहीं। अब तक हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से ये दलील दी गई है कि सरकार आर्थिक रूप से शिक्षकों को वेतन देने में सक्षम नहीं है।
कब होगी सुनवाई पूरी
राज्य के करीब चार लाख नियोजित शिक्षक और उनके 20 लाख आश्रित टकटकी लगाए हुए थे कि कब सुनवाई पूरी हो और उन्हें न्याय मिले। लेकिन अब इसमें विलंब होने की संभावना है। फैसले में देरी को लेकर नियोजित शिक्षकों में निराशा घर करने लगी है। हालांकि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ इस मामले को लेकर लगातार दिल्ली में कैंप कर रहा है।