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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, दैनिक साम्रगी के प्रचार में बड़ा धोखा, कोर्ट ने आईएमए को भी दी नसीहत

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, दैनिक साम्रगी के प्रचार में बड़ा धोखा, कोर्ट ने आईएमए को भी दी नसीहत

दिल्ली- -पतंजलि आयुर्वेद मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए प्रतिदिन होने वाले सामान को लेकर फैल रहे भ्रम पर भी कड़ा रुख अपनाया है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने तीन केंद्रीय मंत्रालयों से जवाब तलब किया है. 

बाबा रामदेव ने बिना शर्त माफी मांगी

योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के बालकृष्ण ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ को बताया कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापनों पर 67 समाचार पत्रों में बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगी है और वे अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करना चाहते हैं. पीठ ने कहा कि इन्हें दो दिन में दाखिल करें. इससे पहले पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले बाबा रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है. माफीनामे में रामदेव और बालाकृष्णन दोनों ने कहा है कि वे आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे और न्याय की गरिमा को बरकरार रखेंगे. पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर विस्तृत जवाब दाखिल किया था.

नियमों की भी पड़ताल की जरूरत

 पतंजलि मामले की सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी  अदालत ने कहा कि औषधि एवं जादुई उपचार अधिनियम, औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के कार्यान्वयन और संबंधित नियमों की भी पड़ताल की जरूरत है. मामला  केवल पतंजलि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली सभी कंपनियों तक फैला हुआ है, जो भ्रामक विज्ञापन जारी कर रही हैं और जनता को धोखा दे रही हैं

केंद्र से जवाब तलब

 सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, सूचना एवं प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों से यह बताने को कहा कि उन्होंने उपभोक्ता कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की. कोर्ट ने आयुष मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों और आयुष के दवा नियंत्रकों को अगस्त 2023 में जारी किए गए उस पत्र पर केंद्र से स्पष्टीकरण भी मांगा जिसमें उनसे औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन नियम 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई न करने को कहा गया था.

 राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कोर्ट को प्रभावी सहायता के लिए मामले में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया.

पतंजलि की ओर माफी के विज्ञापन

जब पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि माफी के विज्ञापन छापे गए हैं, तो अदालत ने रोहतगी से पूछा, ‘क्या यह उसी आकार का विज्ञापन है जो आप आमतौर पर अखबारों में जारी करते हैं?’ वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘इसकी कीमत लाखों रुपये ह.।’ इस पर कोर्ट ने प्रतियां तलब कर लीं.

पीठ ने याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से भी ‘अपना घर व्यवस्थित करने’ को कहा.  इसने कहा कि आईएमए के सदस्यों के कथित अनैतिक कृत्यों के बारे में कई शिकायतें की गई हैं जो अत्यधिक महंगी दवाएं और उपचार लिखते हैं. देश की सबसे बड़ी अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन  के वकील से कहा कि जब वे पतंजलि पर उंगलियां उठा रहे हैं, तो अन्य चार उंगलियां इंडियन मेडिकल एसोसिएशन  पर भी उठ रही हैं.

ये है मामला

बता दें देश की सबसे बड़ी अदालत साल 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन  द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड लगाया गया है.अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी.


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