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सुप्रीम कोर्ट ने शरद यादव को पढ़ाया नैतिकता का पाठ, वेतन-भत्तों पर रोक

 सुप्रीम कोर्ट ने शरद यादव को  पढ़ाया नैतिकता का पाठ, वेतन-भत्तों पर रोक

NEW DELHI : जनसभाओं से लेकर ट्विटर-फेसबुक पर रोज नैतिकता की दुहाई देने वाले शरद यादव को आज सुप्रीम कोर्ट ने पाठ पढ़ाया. लोकतांत्रिक जनता दल बना चुके शरद यादव जदयू सांसद के तौर पर मिलने वाले वेतन-भत्ते की मांग कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गुहार को खारिज कर दिया. शरद को अब राज्यसभा सांसद के तौर पर वेतन और भत्ता नहीं मिलेगा. हालांकि उनके बंगले को फिलहाल खाली नहीं कराया जायेगा. कोर्ट ने उन्हें 12 जुलाई तक सरकारी बंगले में रहने की इजाजत दे दी है.  मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शरद यादव को वेतन व अन्य भत्ते (हवाई जहाज और रेल टिकट) जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. इसके अलावा शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति आदर्श कुमार और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि राज्यसभा से अयोग्य करार दिये जानेवाली शरद यादव की याचिका पर सुनवाई तेज करे 

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 गैरतलब है कि शरद यादव और अली अनवर को पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजद से अलग होकर भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाये जाने पर दोनों नेता विपक्षी दल के साथ चले गये थे. इसके बाद जदयू ने राज्यसभा के सभापति से शरद यादव और अली अनवर के खिलाफ पार्टी छोड़ कर विपक्षी दलों के कार्यक्रम में जाने को लेकर राज्यसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की. जदयू की मांग पर कार्रवाई करते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शरद यादव और अली अनवर को चार दिसंबर, 2017 को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया. सदन से अयोग्य करार दिये जाने के फैसले के खिलाफ शरद यादव ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

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