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बिहार में इस साल 'सिपाही' के रिश्वत का रेट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से अधिक, निगरानी ने 5 महीने में 13 को भेजा जेल पर 'घूस' में 'पुलिस' ने ही मारी बाजी

बिहार में इस साल 'सिपाही' के रिश्वत का रेट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से अधिक, निगरानी ने 5 महीने में 13 को भेजा जेल पर 'घूस' में 'पुलिस' ने ही मारी बाजी

PATNA:  बिहार सरकार भ्रष्ट अफसरों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। वैसे अफसर जो बिना रिश्वत के काम नहीं करते उनके ठिकानों पर लगातार छापेमारी की जा रही है। सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई, निगरानी ब्यूरो और विशेष निगरानी इकाई को विशेष तौर पर जिम्मा दिया है। तीनों जांच एजेंसियों को भ्रष्ट अफसर जो रिश्वत के पैसे से अकूत संपत्ति अर्जित किये हैं उनके ठिकाने पर छापेमारी की खुली छूट दे रखी है। निगरानी ब्यूरो भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ केस दर्ज कर संपत्ति की तो जांच कर ही  रही है, वहीं रिश्वत लेते सरकारी सेवकों को गिरफ्तार भी कर रही. एजेंसी ने जनवरी 2022 से 31 मई तक 13 अधिकारियों-कर्मियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार की है। इनमें कार्यपालक अभियंता से लेकर आपूर्ति पदाधिकारी, दारोगा और लिपिक तक शामिल हैं। लेकिन रिश्वत में सबसे अधिक रेट सिपाही का रहा. पटना पुलिस के सिपाही ने रिश्वत लेने में कार्यपालक अभियंता को भी पीछे छोड़ दिया। कार्यपालक अभियंता जहां 50 हजार घूस में ही हवालात पहुंच गये। वहीं पटना पुलिस का सिपाही तो 4.5 लाख रू लेते गिरफ्तार हुआ। यह अलग बात है कि इतना पैसा अकेले सिपाही नहीं पचा सकता । 

कार्यपालक अभियंता 50 हजार रू के चक्कर में जेल की खा रहे हवा 

निगरानी ब्यूरो ने जनवरी 2022 से लेकर 31 मई तक 13 सरकारी सेवकों को हवालात में डाला है। इनमें ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता अरूण कुमार भी शामिल हैं। निगरानी ब्यूरो ने औरंगाबाद में पदस्थापित ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता को 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई 17 मई 2022 को की गई। इसके साथ ही इसी दफ्तर के रोकड़पाल राकेश कुमार भी उसी दिन 10000 रू घूस लेते गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावेनिगरानी ब्यूरो ने 31 मई को समस्तीपुर के खानपुर प्रखंड के आपूर्ति पदाधिकारी प्रिया सत्संगी और सरायरंजन के आपूर्ति पदाधिकारी राजीव कुमार को   50000 हजार रू रिश्वत लेते एक साथ गिरफ्तार किया था। 

सिपाही 4.5 लाख रू लेते हुआ था गिरफ्तार 

वहीं, 30 मई को मोहनिया खनन कार्यालय के लिपिक रंजीत कुमार को 1 लाख रू रिश्वत लेते गिरफ्तार कर हवालात भेजा गया। घोषी के दारोगा उपेन्द्र प्रसाद मेहता को 24 अप्रैल को 10000 रू लेते पकड़ा गया। उदवंतनगर भोजपुर चकबंदी कार्यालय के लिपिक अजित कुमार को 26 अप्रैल को 2500 रू रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। 4 अप्रैल को टनकुप्पा पीएचसी गया के लिपिक सुनील कुमार को 55000 हजार रू घूस लेते अरेस्ट किया गया। पटना पुलिस लाइन के मुंशी दीपक सिंह को 31 मार्च को निगरानी ब्यूरो ने पकड़ा था। सिपाही 4.5 लाख रू रिश्वत ले रहा था। पूर्णिया के श्रीनगर अंचल के नाजिर विकास रंजन को निगरानी ने 16 मार्च को पकड़ा था। वह 10000 हजार रू घूस ले रहा था। 10 मार्च को बगहा-1 प्रखंड के आईसीडीएस कार्यालय के लिपिक शंभू पांडेय को 10 हजार रू रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था। सरायरंजन के दारोगा को 21 फऱवरी को 30000 हजार रू घूस लेते निगरानी ने टांग लिया था। वहीं, 5 जनवरी 2022 को मुशहरी अंचल के नाजिर अजित कुमार को 50000 रू रिश्वत लेते पकड़ा गया था। 

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