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नीतीश के राष्ट्रपति बनने के खिलाफ हुए सुशील मोदी- गैर कांग्रेसी दल क्यों नहीं होंगे सफल- बताया बड़ा कारण

नीतीश के राष्ट्रपति बनने के खिलाफ हुए सुशील मोदी- गैर कांग्रेसी दल क्यों नहीं होंगे सफल- बताया बड़ा कारण

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस वर्ष होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में गैर कांग्रेसी दलों की ओर से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा के बीच भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. खासकर नीतीश कुमार के बेहद करीबी कहे जाने वाले सुशील मोदी ने बिना नीतीश कुमार का नाम लिए गैर कांग्रेसी दलों पर हमला किया है. 

ममता बनर्जी यदि  तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, केसीआर और उद्घव ठाकरे से हाथ मिला कर प्रधानमंत्री मोदी के लोकप्रिय नेतृत्व, केंद्र की मजबूत सरकार और समर्पित काडर वाली भाजपा को चुनौती देना चाहती हैं, तो वे कभी कामयाब नहीं होंगी. विडम्बना यह कि ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस को छोड़ कर फ्रंट बनाना चाहते हैं, जबकि इनमें से अधिकतर कांग्रेस से निकले हैं और उसी की तरह परिवारवादी हैं. ऐसे जिन लोगों का कोई राष्ट्रीय जनाधार नहीं है, वे  किसी का नाम किसी बड़े पद के लिए उछाल सकते हैं.

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी, चंद्रशेखर राव, उद्धव ठाकरे जैसे मुख्यमंत्रियों का प्रभाव केवल संबंधित राज्यों तक है, लेकिन ऐसे जिन लोगों की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा अचानक जगती है, वे कोई फ्रंट बनाने निकल पड़ते हैं. देश की जनता वीपी सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, गुजराल तक विपक्षी फ्रंट की कई कमजोर सरकारों का हस्र देख चुकी है और उन्हें सिरे से नकार चुकी है.

मोदी ने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे तेज बढती अर्थव्यवस्थाओं में है और विदेशी मुद्रा भंडार में रिकार्ड वृद्धि हुई. दूसरी तरफ वह दिन याद है, जब चंद्रशेखर सरकार के समय देश को सोना लंदन में गिरवी रखना पड़ा था. ऐसे फ्रंट की कमजोर सरकारें नकारात्मकता से भरी होती हैं, इसलिए विकास और स्थिरता में बाधक ही साबित होती हैं. दरअसल सुशील मोदी ने एक बार भी नीतीश का नाम नहीं लिया लेकिन राष्ट्रपति पद के लिए जिन लोगों ने उनके नाम को उछाला उन सभी नेताओं का नाम लेकर मोदी ने सभी को निशाने पर लिया. 

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की दिल्ली में मुलाकात हुई थी. वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव पिछले कुछ सप्ताह में देश का कई गैर कांग्रेसी नेताओं से मिल चुके हैं. माना जा रहा है कि राव की यह पहल नीतीश कुमार के लिए गैर कांग्रेसी दलों को एकमत बनाने की योजना है. हालांकि अभी तक नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने नाम की सहमति की स्वीकृति देने की पुष्टि नहीं की है. अब सुशील मोदी ने ट्वीट कर बताया है कि कैसे पिछले वर्षों के दौरान कई बार तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद हुई लेकिन न तो उनकी सरकार ठीक से चली और ना ही उन्हें अपेक्षित सफलता मिली. ऐसे में राष्ट्रपति पद के लिए की जा रही पहल भी अधूरी ही रहेगी. 


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