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लालू प्रसाद ये भूल गए हैं, राबड़ी की कबाड़ सरकार को कांग्रेस के जुगाड़ से चलाया था : सुशील मोदी

लालू प्रसाद ये भूल गए हैं, राबड़ी की कबाड़ सरकार को कांग्रेस के जुगाड़ से चलाया था : सुशील मोदी

Patna :  बीजेपी के वरिष्ठ नेता व बिहार के डिप्टी सीएम राजद सुप्रीमों को हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ते है। उन्होंने एकबार फिर लालू प्रसाद पर बड़ा हमला बोला है। 

सुशील मोदी ने अपने सोशल मीडिया के ट्वीटर अकाउंट के एक के बाद एक कई ट्वीट किये है। जिसमें उन्होंने लिखा है....लालू प्रसाद भूल गए कि उन्होंने राबड़ी देबी की कबाड़ सरकार को कांग्रेस के जुगाड़ से चलाया था। बहुमत साबित करने के लिए कांग्रेस के सभी 35 विधायक मंत्री बना दिये गए थे। स्पीकर का पद भी राजद अपने पास नहीं रख पाया था। 

मंत्री बनने वालों में पहली बार विधायक बनने वाले अनुभवहीन कबाड़ भी थे। बिहार जैसे गरीब राज्य पर विशाल मंत्रिपरिषद थोपा गया। इस पर जनता का जो पैसा खर्च हुआ, उससे कई अस्पताल खुल सकते थे। राजद क्या बिहार पर कबाड़ सरकार थोपने के लिए माफी नहीं मांगेगा?

उन्होंने आगे लिखा है बिहार सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने लाकडाउन के दौरान फँसे लाखों मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए 1600 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलायी थी। अब बिहार के ही अनुरोध पर केंद्र ने रेलवे की परियोजनाओं में पांच तरह के काम मनरेगा से कराने की अनुमति दे दी है। इससे लाखों मजदूरों को काम मिलेगा। 

सुशील मोदी ने लिखा है... डबल इंजन की सरकार के इस एक फैसले से अकेले बिहार में 5 लाख से ज्यादा मानव कार्य दिवस सृजित होंगे। केंद्र सरकार ने ज्यादा मजदूरों को काम देने के लिए 40 हजार करोड़ अतिरिक्त दिये, जिससे मनरेगा का बजट 1 लाख करोड़ रुपये से  अधिक हो गया। 

लाकडाउन के समय दूसरे राज्यों से मजदूरों की वापसी के लिए 1000 बसें भेजने और 50 ट्रेन का किराया देने के बड़बोले दावे करने वाले कोई काम न आये। एनडीए सरकार ने बिहार के 20 लाख मजदूरों को मुफ्त में सकुशल वापस लौटाया और उन्हें गांव-जिले में ही रोजगार देने की भी चिंता की।

राज्य के जल-जीवन-हरियाली मिशन में 7 लाख से ज्यादा मजदूरों को काम मिला। अब मनरेगा के तहत रेलवे ने भी स्थानीय मजदूरों के लिए दरवाजे खोल दिये। 

डबल इंजन की सरकार का महत्व पांच महीने का मुफ्त अनाज पाने वाले गरीब-मजदूर, उज्जवला गैस पाने वाली दलित-पिछड़ा परिवार की महिलाएँ और सालाना 6 हजार पाने वाले किसान समझ सकते हैं, बेनामी सम्पत्ति बनाने वाले नहीं। 

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