PATNA:कोटा प्रकरण पर बिहार में हो रहे महाभारत पर चुप्पी साधे बैठे सुशील मोदी ने आखिरकार अपना मौन तोड़ दिया है।लेकिन खास बात यह है कि यह कि मोदी का मौन टूटा भी तो मुंह से नीतीश नाम हीं निकला।सुशील मोदी ने अपनी हीं पार्टी के विधायक अनिल सिंह के द्वारा बजाप्ता पास बनवाकर कोटा से बेटी लाने पर मचे बवाल पर एक शब्द भी बोलना मुनासिब नहीं समझा।इतना हीं नहीं विपक्ष से लेकर कोटा में फंसे बच्चों के अभिभावकों ने भी जब सरकार को दम भर कोसा तो सरकार बुरी तरह से बेदम दिखने लगी।
बीजेपी विधायक पर कार्रवाई की मांग के बाद भी मौन रहे मोदी
नीतीश कुमार के एक खास मंत्री श्रवण कुमार ने तो सुशील मोदी की पार्टी के विधायक अनिल सिंह पर तो कार्रवाई करने की मांग कर डाली।इतना हीं नहीं बिहार के कई डीएम के द्वारा कई पास जारी किए जाने के बाद उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।लेकिन भाजपा विधायक को पास जारी करने वाले एसडीओ नवादा को आनन-फानन में निलंबित कर दिया गया।इससे भी आगे बढ़ते हुए विधायक के बार्डीगार्ड और विधानसभा की तरफ से मिले ड्राइवर को भी निलंबित कर दिया गया।
भाजपा अध्यक्ष विधायक के पक्ष में खोला मोर्चा
कोटा प्रकरण पर सरकार और पार्टी का भद्द पिटने के बाद भी सुशील मोदी मौन धारण किए हुए रहे।जानकार बताते हैं कि सुशील मोदी न योगी को नाराज करना चाहते थे और न अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को।भला बेचारा विधायक अनिल सिंह की क्या बिसात......जो उसके पक्ष में मोदी खड़े होते।लेकिन सबकुछ बिगड़ता देख बीजेपी अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कोटा प्रकरण पर नीतीश सरकार से अलग लाइन लेते हुए अपने विधायक जबरदस्त समर्थन करते हुए कहा कि --किसी भी पिता को अपनी बेटी-बेटा को लाने का हक है।ऐसे में हमारे विधायक ने कोई गलती नहीं की है।
कोटा पर टूटा मौन तो 'नीतीश नाम केवलम' के साथ
सबकुछ हो जाने के बाद सुशील मोदी ने अपना मौन तोड़ा भी तो (नीतीश नाम केवलम )के साथ।जानकार बताते हैं कि कोटा पर जिस तरीके से अंततः मोदी ने अपनी बात रखी उससे यह साबित हो गया कि वे सीएम नीतीश को नाराज नहीं करना चाहते.डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कोटा प्रकरण पर ट्वीट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोटा और देश के अन्य शहरों में फँसे छात्रों को वापस लाने के लिए एक समान नीति बनाने की तात्कालिकता पर जिस तरह से जोर दिया, उससे अब जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकलेगा। जिस लाकडाउन से भारत हजारों लोगों का जीवन बचाने में सफल हुआ, उसके नियमों का पालन करते हुए हमारे छात्र अपनों के बीच होंगे।