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सुशील मोदी का दावा - नगर निकाय चुनाव पर फिर लग सकती है रोक, नीतीश सरकार ने नहीं किया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन

सुशील मोदी का दावा - नगर निकाय चुनाव पर फिर लग सकती है रोक, नीतीश सरकार ने नहीं किया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन

पटना. बिहार में नगर निकाय चुनाव की तिथियों के ऐलान के बाद भाजपा ने इस मामले में नीतीश सरकार की नीयत पर सवाल उठाये हैं. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने गुरुवार को दावा किया कि नीतीश सरकार की जिद के कारण अभी भी नगर निकाय चुनाव क़ानूनी दांवपेंच में फंसा हुआ है. इसलिए संभव है कि फिर से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लग जाए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट के 28 नवंबर के आदेश की अवमानना कर जबरदस्ती और जल्दबाजी में नगर निकाय चुनाव करा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को निर्देश जारी किया था कि बिहार सरकार ने जो आयोग गठित किया था उस पर रोक लगाई जाए. उसके बावजूद नीतीश सरकार चुनाव करा रही है. यह कोर्ट के अवमानना का मामला है. 

मोदी ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है। सब को यह जानने का अधिकार  है कि आयोग ने क्या रिपोर्ट दी है?  साथ ही आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उसमें नए सिरे से आरक्षण का निर्धारण कर चुनाव कराना था? नए लोगों को चुनाव में भाग लेने से क्यों रोक दिया गया? नए लोग क्यों नहीं चुनाव लड़ सकते हैं? उन्होंने कहा कि आयोग का गठन जिस उद्देश्य से किया गया था वह पूरा ही नहीं हुआ है. 

 उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार अपनी जिद और अहंकार के कारण पिछड़ों को प्रताड़ित कर रहे हैं. पूरे मामले को उन्होंने कानूनी पेंच में फंसा दिया है. ऐसी स्थिति में यह चुनाव कभी भी रुक सकता है. नीतीश सरकार से आग्रह है कि वे सुप्रीम कोर्ट में जाएं और पक्ष में निर्णय लें. उन्होंने कहा था 'सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन पर रोक लगा दी है. बीजेपी पहले से कह रही थी नया कमीशन बनाइए लेकिन नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे. फिर एक बार नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया.

मोदी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव की घोषणा करने में नीतीश सरकार ने जल्दबाजी की है. इसी का परिणाम है कि पूरा मामला कनूनी दांवपेंच में उलझा है. इस स्थिति में जो लोग चुनाव लड़रहे हैं उन्हें काफी सोच समझकर चुनावी खर्च करना चाहिए. 


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