PATNA : बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज के बंगाल की तुलना लालू राबड़ी राज के बिहार से की है। उन्होंने चुनाव आयोग से आरजेडी की तरह ही बंगाल में टीएमसी पर लगाम लगाने की मांग की है।
सुशील मोदी ने कहा कि लालू-राबड़ी के राज में आज जो प. बंगाल में हो रहा है ठीक उसी तरह बिहार में भी बूथ लूट, चुनावी हिंसा,गरीब-कमजोर वर्ग के मतदाताओं को मतदान से रोकने आदि के कारण चुनाव आयोग को पूरे के पूरे संसदीय व विधानसभा क्षेत्रों का चुनाव रद्द कर पुनर्मतदान कराना पड़ता था। अन्ततः टी एन शेषन जैसे तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त की सख्ती से राजद के बूथ लुटेरों व गुंडों पर लगाम लगा। आज बंगाल में भी टीएमसी की गुंडागर्दी के खिलाफ आयोग को वैसी ही सख्ती बरतने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बूथ लूट और चुनावी हिंसा के डेढ़ दशकीय दौर में बिहार में जहां 641 लोग मारे गए थे वहीं छपरा, पूर्णिया और दो-दो बार पटना संसदीय क्षेत्र तथा दानापुर विधान सभा क्षेत्र के सम्पूर्ण मतदान को रद्द कराना पड़ा था। धांधली और बूथ लूट की शिकायतों के बाद 1990 के बिहार विधान सभा चुनाव में 1,239, 1995 में 1,668 और 2000 में 1,420 मतदान केन्द्रों पर चुनाव आयोग को पुनर्मतदान का निर्णय लेना पड़ा था।
सुशील मोदी ने कहा कि टीएमसी और ममता बनर्जी की तरह तब बिहार में भी राजद-कांग्रेस के लोग चुनावी हिंसा, धांधली, बूथ लूट को नजरअंदाज कर आयोग के पुनर्मतदान के निर्णयों के विरोध में खड़े रहते थे। आयोग की कड़ी कार्रवाई से न केवल राजद के बूथ लुटेरों पर नकेल कसा बल्कि हिंसा का दौर भी थमा।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा प. बंगाल के हालात के मद्देनजर एक दिन पहले चुनाव प्रचार को रोकना कोई अप्रत्याशित निर्णय नहीं है। आयोग की कार्रवाई का यह पहला कदम हो सकता है, मगर उसकी सख्ती और आम मतदाताओं की जागरूकता का बिहार की तरह बंगाल में भी असर होगा।