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समाजवादी पार्टी से अलग होकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बनाया अपना नया दल, 11 साल पुरानी पार्टी को किया लांच

समाजवादी पार्टी से अलग होकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बनाया अपना नया दल, 11 साल पुरानी पार्टी को किया लांच

LUCKNOW : हिन्दू देवी-देवताओं और धर्म ग्रंथों को लेकर लगातार विवादों में रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया है। इस पार्टी का नाम राष्‍ट्रीय शोष‍ित समाज पार्टी होगा। पार्टी का झंडा लॉन्‍च कर दिया गया है। नीला, लाल और हरे रंग की पट्‌टी वाले इस झंडे में बीच में RSSP लिखा हुआ है। स्‍वामी 22 फरवरी को दिल्‍ली के तालकटोरा स्‍टेडियम में एक रैली को सम्‍बोधित करेंगे। वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्‍याय यात्रा में भी शामिल होंगे।

स्वामी प्रसाद ने 13 फरवरी को समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। एक हफ्ते बाद ही उन्होंने अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया। बताया जा रहा है कि यह पार्टी 2013 में बनाई गई पार्टी थी। स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने इसे री-लॉन्च किया है।अलीगढ़ के रहने वाले साहेब सिंह धनगर ने बनाई थी। साहेब सिंह धनगर 1993 में बीएसपी से विधानसभा चुनाव लडे थे। वह 2002 में सपा से लड़े थे। बीच में बीएसपी से लोकसभा भी लड़े थे। 2013 में इन्होंने आरएसएसपी बनाई। 2014,2017,2019 का चुनाव इनकी पार्टी लड़ी थी। 

सपा नेताओं पर साथ नहीं देने का लगाया था आरोप

स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते दिनों सपा में उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अखिलेश यादव को लिखे गए अपने पत्र में कहा था कि डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ. राममनोहर लोहिया समेत सामाजिक न्याय के पक्षधर महापुरुषों ने 85 बनाम 15 का नारा दिया था। लेकिन, समाजवादी पार्टी इस नारे को लगातार निष्प्रभावी कर रही है।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में प्रत्याशियों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक प्रत्याशियों को बदला गया। इसके बावजूद वह पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे। विधानसभा के अंदर पार्टी को 45 से 110 पर पहुंचा दिया।

उन्होंने कहा था कि जबसे मैं सपा में शामिल हुआ तब से ही पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की है।  इसी क्रम में मैंने आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को जो जाने-अनजाने भाजपा के मकड़जाल में फंसकर भाजपामय हो गए उनके सम्मान व स्वाभिमान को जगाकर व सावधान कर वापस लाने की कोशिश की।

हालांकि, इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा था कि अब गेंद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पाले में है। इसके बाद उन्होंने पार्टी का एलान कर दिया।

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