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बिहार के लीची उत्पादकों के लिए काम की बात, कोका कोला ने लांच किया उन्नति लीची

बिहार के लीची उत्पादकों के लिए काम की बात, कोका कोला ने लांच किया उन्नति लीची

PATNA : तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कनार्टक, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में उन्नति मध्यस्थताओं की सफलता के बाद कोका-कोला इंडिया ने आज देहात, नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन लीची (एनआरसीएल) और केडिया फ्रेश के साथ मिलकर बिहार में उन्नति लीची को लॉन्च किया है. 

देहात के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशांक कुमार ने कहा, ‘‘लीची बिहार की एक हेरिटेज फसल है और हमारे किसान साल दर साल इस फसल के उत्पादन में गिरावट का अनुभव कर रहे हैं. किसानों के लिए उच्चम मूल्यर वाली फसल होने के कारण लीची उनकी आजीविका में महत्वकपूर्ण भूमिका निभाती है. हमारा लक्ष्यस किसानों को पारंपरिक विधियों से हटकर आधुनिक कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षित करना है, जिसके लिये उन्हें संपूर्ण सहयोग, प्रशिक्षण और संबद्ध कृषि तकनीकों से अवगत कराया जाएगा. हमें विश्वास है कि इस परियोजना से कोका-कोला के जुड़ने से आवश्यक पैमाना और उत्कृष्ट प्रबंधन मिलेगा.’’

कोका-कोला इंडिया अपने अनूठे गुणों के लिये प्रसिद्ध लीची की किस्मों - शाही और चीना का उत्पादन बढ़ाने के लिये परियोजना क्रियान्वयन भागीदार देहात (ग्रीन एग्रीवोल्यूशन प्रा. लि.) के साथ निकटता से काम करेगा. केडिया फ्रेश मुजफ्फरपुर में नमूने का अत्याधुनिक बाग बनाने में अपनी विशेषज्ञता का प्रयोग करेगा और प्रमुख प्रौद्योगिकी भागीदार नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर लीची, मुजफ्फरपुर (एनआरसीएल) लीची की खेती के लिये संपूर्ण मानक परिचालन विधियों (एसओपी) को विकसित करेगा और परियोजना की समय अवधि के दौरान उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा. 

उन्नति लीची के माध्यम से उत्पादनशीलता की बढ़त इस फल की स्थानीय मुख्तारी को गति दे सकती है, जिससे इस राज्य में हॉर्टिकल्चर की पारिस्थितिकी को बल मिलेगा. यह परियोजना किसानों को जरूरी अवसंरचना तक पहुँच भी देगी, जैसे उच्च उपज वाला प्लांटिंग मटेरियल और आधुनिक पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेस (पीओपी), जिससे लीची की खेती आकर्षक हो जाएगी. 

कोका-कोला इंडिया और उसके भागीदार भारत की फ्रूट सर्कुलर इकोनॉमी के विकास के लिये 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कर मजबूत महत्व श्रृंखलाओं के निर्माण के मार्ग पर बढ़ रहे हैं. बिहार में प्रोजेक्ट उन्नति लीची की शुरूआत के बाद यह पहल पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में भी होगी. 

वर्तमान में इस सेंटर के पास 14 वैज्ञानिक, 3 तकनीकी, 8 प्रशासनिक और 3 सहयोगी कर्मचारी हैं, जबकि अनुमोदित वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रशासनिक और सहयोगी कर्मचारियों की संख्या क्रमशः 15, 14, 12 और 10 है. अनुमोदित वैज्ञानिक पद हॉर्टिकल्चर, पौध प्रजनन, अनुवांशिकी, मृदा विज्ञान, जैव-प्रौद्योगिकी, शरीर विज्ञान, पैथोलॉजी, कीट विज्ञान, अर्थशास्त्र, एक्सटेंशन एवं कंप्यूटर अनुप्रयोगों जैसे विभिन्न विषयों का प्रतिनिधित्व करता है. 

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