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बिहार के शिक्षक नेताओं ने EPF संगठन के अपर आयुक्त से लगाई गुहार, कोर्ट आदेश व ईपीएफ एक्ट का पालन करवाने की मांग...

बिहार के शिक्षक नेताओं ने EPF संगठन के अपर आयुक्त से लगाई गुहार, कोर्ट आदेश व ईपीएफ एक्ट का पालन करवाने की मांग...

पटना:  बिहार के पंचायतीराज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ स्कीम से आच्छादित करने हेतू शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा पटना उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना तथा ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन कर मनमाने तरीके से अपनाई गई प्रक्रिया को लेकर माध्यमिक शिक्षक संघ के युवा नेता सिद्धार्थ शंकर ने कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन के अपर केन्द्रीय आयुक्त(बिहार व झारखंड) राजीव भट्टाचार्या को ज्ञापन देकर विधिसम्मत कारवाई करते हुए नियमानुसार लाभ दिलाने का अनुरोध किया है। 

उन्होंने अपने ज्ञापन में अपर केन्द्रीय आयुक्त को बताया है कि उनके अधीनस्थ क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त कार्यालय को दो माह पूर्व इस संबंध में आवेदन देकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की थी।मगर आजतक ना ही कोई एक्शन लिया गया और ना ही कोई सूचना मुझे दी गई है। उन्होंने अपर केन्द्रीय आयुक्त को अविलंब इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए नियमानुसार कार्रवाई करते हुए न्यायालीय आदेश का अनुपालन करते हुए ईपीएफ एक्ट के प्रावधानों के अनुसार शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षो‌‌ को लाभ दिलाने का अनुरोध किया है।

युवा शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि पिछले दिनों अपर सचिव सह निदेशक माध्यमिक शिक्षा के द्वारा 11 सितंबर को दिए गए एक विभेदपूर्ण निर्देश में कहा गया है कि इस वर्ष 31 अगस्त तक नियुक्त शिक्षक अपनी नियुक्ति तिथि के कॉलम में 1 सितंबर, 2020 भरेंगे जबकि भविष्य में नियुक्त शिक्षक अपनी वास्तविक नियुक्ति तिथि भरेंगे जो एक ही संवर्ग के शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का भेदभावपूर्ण रवैया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से ही अबतक नियुक्त हुए शिक्षकों की जहां नियुक्ति तिथि अलग-अलग है वहीं उनका वेतन भी अलग-अलग है। ऐसे में सभी का एक ही नियुक्ति तिथि और एक ही वेतन का भरना और भरवाना अन्यायपूर्ण, अनैतिक और गैरकानूनी है।

सिद्धार्थ शंकर ने बताया कि सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा लगातार लिखित एवं मौखिक निर्देश देकर न सिर्फ ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन किया बल्कि पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश की भी अवहेलना कर विद्यालय प्रधानों एवं शिक्षकों को गलत सूचना भरने के लिए मजबूर किया गया।

यह है मामला:-

शिक्षा विभाग के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेश व ईपीएफ एक्ट का कर रहे हैं उल्लंघन :

पटना उच्च न्यायालय के न्यायदेश और सरकार के निर्णय के बाद शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देने हेतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मनमाने ढ़ग से ईपीएफ में रजिस्ट्रेशन हेतू भरवाए जा रहे फॉर्म में सभी की नियुक्ति तिथि कॉलम में 1 सितंबर, 2020 तथा वेतन के स्थान पर 15000 रुपए या उससे कम भरने हेतू न सिर्फ लिखित आदेश दिया है बल्कि जबरन फॉर्म में भी भरवाए गए।जिससे ईपीएफओ के रिकार्ड में उनकी अबतक की सेवा अवधि शून्य हो जायेगी तथा वर्तमान में मिलने वाले लाभ के साथ-साथ भविष्य में भी मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ेगा।

पटना उच्च न्यायालय ने ईपीएफओ के आयुक्त और सरकार को शिक्षकों को ईपीएफ एक्ट के तहत लाभ देने का दिया था निर्देश :-

पिछले दिनों राज्य सरकार ने ईपीएफ एक्ट-1952 के तहत पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को लाभ देने का निर्णय लिया तथा इससे पूर्व गत वर्ष पटना उच्च न्यायालय ने शिक्षकों की याचिका ( CWJC-19106/2019) की सुनवाई करते हुए भविष्य निधि आयुक्त को पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ एक्ट का कड़ाई से पालन करते हुए 60 दिनों के अंदर भविष्य निधि आदि का लाभ दिलाने का आदेश भी दिया था।

शिक्षकों ने क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त को आवेदन देकर पटना उच्च न्यायालय के आदेश की दिलाई थी याद :-

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मनमानी के विरोध में युवा शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर के नेतृत्व में शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों का शिष्टमंडल कर्मचारी भविष्य संगठन (ईपीएफ) के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को ज्ञापन सौंपा था तथा उन्हें पटना उच्च न्यायालय द्वारा 17 सितंबर, 2019 का इस संबंध में दिये आदेश की याद दिलाई थी, जिसमें उन्हें ईपीएफ एक्ट का कड़ाई से पालन कराते हुए सभी संबंधित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को लाभ दिलाने का निर्देश दिया था।

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