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बिहार के शिक्षा विभाग से आरपार के मूड में शिक्षक, केके पाठक के इस फैसले का कर रहे हैं विरोध

बिहार के शिक्षा विभाग से आरपार के मूड में शिक्षक, केके पाठक के इस फैसले का कर रहे हैं विरोध

PATNA-बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ के शिक्षक संघ भड़का हुआ है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के कई आदेश अपने तर्क से भी व्यावहारिक नहीं लगता है। केके पाठक बिहार के शिक्षकों के लिए कई आदेश निकाल चुके हैं। इन्हीं आदेश में से एक आदेश को कुछ शिक्षक मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि ये आदेश मौलिक अधिकार का हनन है। दरअसल शिक्षा विभाग ने एक चिट्ठी निकाली थी। इस चिट्ठी का लब्बोलुआब था कि बिहार के शिक्षक सोशल मीडिया से 'जरा' दूरी बनाकर ही रखें। केके पाठक के इस आदेश पर एक शिक्षक ने तमीजपूर्व विरोध जताते हुए एक तरह से इशारों में उन्हें चुनौती दे दी है।

हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक खत के जरिए ये तय कर दिया था कि अब कोई भी शिक्षक न तो किसी संघ से जुड़ेगा और न ही सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, यूट्यूब या ट्विटर पर शिक्षा विभाग से जुड़ी बातें लिखेगा।'बिहार में शिक्षकों को भी देश के आम नागरिकों की तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त थी। लेकिन आपके द्वारा पत्र में उल्लेखित शिक्षा विभाग के खत से ऐसा मालूम होता है कि बिहार में शिक्षकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं अन्य मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।' 


अमित शिक्षकों की मांग को लगातार सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों के जरिए उठाते रहते हैं। लेकिन हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक खत के जरिए ये तय कर दिया था कि अब कोई भी शिक्षक न तो किसी संघ से जुड़ेगा और न ही सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, यूट्यूब या ट्विटर पर शिक्षा विभाग से जुड़ी बातें लिखेगा। टीईटी संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम को इसीलिए एक चिट्ठी भेजी गई। ये चिट्ठी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, हवेली खड़गपुर, मुंगेर की ओर से लिखी गई थी और इसमें अमित विक्रम से छुट्टियों के मुद्दे पर सोशल मीडिया में दिए बयान पर सफाई मांगी गई थी। इस पर शिक्षक की ओर से जवाब दिया गया।
अमित विक्रम ने शिक्षा विभाग को हाईकोर्ट जाने की बात भी इशारों में लिख दी। शिक्षक ने आगे लिखा कि 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मेरा बयान विभागीय आदेश के पूर्व का है, इसलिए स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए किसी भी कार्रवाई से मुक्त रखा जाए। मुझे पूरी उम्मीद है कि बिहार की सम्मानित सरकार अथवा माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा शिक्षा विभाग के उक्त पत्र को खारिज कर दिया जाएगा। जब तक वह पत्र खारिज नहीं होता है, तब तक मैं इस बात का ध्यान रखूंगा कि मीडिया में अनर्गल प्रचार प्रसार ना करूं।' 

कंधे पर रंग बिरंगी बैग लटकाए छात्र-छात्राओं से गुलजार रहने वाला पटना का बाजार समिति और आस पास का इलाका अब एकदम शांत हो गया है। एक समय था जब पुरे दिन सड़कों पर स्टूडेंट ही स्टूडेंट दिखाई देते थे लेकिन अब यह तस्वीर कहीं गुम सी हो गई है। पटना का बाजार समिति, बोरिंग रोड, मछुआ टोली, नया टोला सहित आस पास का इलाका जहां पूरे बिहार से विधार्थी कोचिंग करने के लिए आते थे। दिन भर अलग अलग बैच में स्टूडेंट्स पढ़ाई करते थे। सड़कों पर दिन भर कोचिंग से आते जाते विद्यार्थी ही देखने को मिलते थे। लेकिन सालों से चलता आ रहा है यह सिलसिला अब थम सा गया है।एक समय ऐसा भी था जब जिन कोचिंग में बैठने के लिए जगह नहीं होती थी लेकिन अब एक ऐसा समय है जब यहां कोई बैठने वाला नहीं है। गिने चुने विद्यार्थी ही बच गए हैं..कोचिंग संस्थानों के बोर्ड और क्लास में धूल जमने लगे हैं। यह सब हुआ है शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के एक आदेश से। एक ऐसा आदेश जिसकी वजह से कोचिंग संस्थान के लोग दिन भर बैठ मक्खी मार रहे हैं। केके पाठक के इस आदेश का भी विरोध जारी है. हालाकि इसपर हाइकोर्ट के फैसले का इंतजार है।

 

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