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शिक्षक संघ के नेताओं ने 4 लाख नियोजित शिक्षकों को दिया धोखा,निजी हित में सम्मान का कर लिया समझौता,बीजेपी MLC का गंभीर आरोप

शिक्षक संघ के नेताओं ने 4 लाख नियोजित शिक्षकों को दिया धोखा,निजी हित में सम्मान का कर लिया समझौता,बीजेपी MLC का गंभीर आरोप

PATNA: बिहार में नियोजित शिक्षकों की हड़ताल खत्म होने का ऐलान हुआ है।माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय एवं बिहार राज्य संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के बीच बातचीत हुई. बातचीत के उपरांत दावे किए गए कि 4 बिंदूओं पर सहमति बनी, उसी आलोक में हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया गया.आनन-फानन में हड़ताल तोडने के निर्णय पर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं. बीजेपी विधानपार्षद ने लाखों शिक्षकों के साथ शिक्षक नेताओं द्वारा छल करने और सम्मान के साथ समझौता करने का गंभीर आरोप लगाया है.

शिक्षक नेताओं ने शिक्षकों के सम्मान को गिरवी रखा

लेकिन नियोजित शिक्षकों की हड़ताल को जिस तरीके से आनन-फानन में तोड़ा गया उस पर सवाल खड़े हो गए हैं.कई शिक्षक नेताओं ने माध्यमिक शिक्षक संघ के नेताओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं और सरकार के सामने निजी हित में सरेंडर करने के आरोप लगाए हैं.बिहार बीजेपी के नेता और विधानपार्षद नवल किशोर यादव ने शिक्षक संघ के नेताओं की पोल खोल दी है।बीजेपी विधानपार्षद ने निजी हित में शिक्षकों की प्रतिष्ठा को सरकार के समक्ष गिरवी रखने का आरोप लगाया है।विधान पार्षद ने सवाल पूछा है कि इतने दिन हड़ताल पर रहने के बावजूद शिक्षक संघ ने वार्ता में शिक्षकों की हड़ताल अवधि के वेतन को लेकर भी क्लियर नहीं कराया.


धोखेबाज हैं शिक्षक संघ के नेता

एमएलसी नवल किशोर यादव ने कहा कि आखिर इस हड़ताल से शिक्षकों को मिला क्या? जब बिहार की सरकार शिक्षकों की जो मांगें थी उसे स्वीकार करने को करीब-करीब तैयार हो गई थी तो फिर शिक्षक संघ के नेता शिक्षा विभाग के अधिकारी आर. के महाजन के सामने सरेंडर क्यों कर दिए? कहीं न कहीं इस पूरे प्रकरण में शिक्षक नेताओं ने अपना हित साधा है और शिक्षकों के मान-मर्यादा के साथ खिलवाड़ किया है. अगर हड़ताल तोड़ना हीं था तो फिर जिस दिन लॉकडाउन लगी तो उसी दिन मानवीय दृष्टिकोण पर हड़ताल खत्म करनी चाहिए थी,लेकिन शिक्षक संघ के नेताओं ने ऐसा नहीं किया।

सम्मान से खिलवाड़ करना पुरानी आदत

उन्होंने कहा कि कल जो नेता वार्ता के लिए गए उनकी पुरानी आदत रही है कि वे सरकार से गुप्त समझौता कर शिक्षकों की बलि चढ़ा देते हैं.उन्होंने कहा कि समझौता में शिक्षकों के हड़ताल के 78 दिन के वेतन का क्या होगा? समंजन करते-करते सालो बीत जायेंगे,शिक्षकों पर जो कानूनी कार्रवाई हुई है उस पर भी स्पष्ट वार्ता नहीं की गई।ऐसे में यही कहा जा सकता है कि माध्यमिक शिक्षक संघ या दूसरे संघ ने 4 लाख शिक्षकों के साथ धोखा दिया.इन नेताओं की धोखेबाजी की वजह से हीं शिक्षक अधिकार पाने से वंचित रह गए.


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