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तीन सालों से की स्ट्रॉबेरी की खेती, पर नहीं मिली सरकार से मदद

तीन सालों से की स्ट्रॉबेरी की खेती, पर नहीं मिली सरकार से मदद

कैमूर: कैमूर जिले के कुदरा थाना क्षेत्र के सकरी में अनिल पिछले तीन सालों से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहा है, लेकिन अब तक उसको नहीं मिली कुछ सरकारी मदद. दर-दर कार्यालयों के ठोकर खाने के बाद अनिल अब सरकारी मदद का इंतजार भी छोड़कर अपनी खेती पर ध्यान दे रहा है. जिला कृषि पदाधिकारी भी मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है की किसानों की आय दोगुनी किया जाए इस सपने में स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के लिए बेहद मुनाफा भरा है.

लेकिन इनके दावे किसानों के लिए छलावा साबित हो रहे हैं. दरअसल कुदरा के सकरी का अनिल आज से तीन साल पहले पुणे में फैक्ट्री में काम करने के लिए गया हुआ था .फैक्ट्री के आसपास के क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती देखा तो अपना काम छोड़कर स्ट्रॉबेरी के कुछ पौधे लेकर गांव आया और महज 10 कट्ठा खेत में स्ट्रॉबेरी का खेती किया, और स्ट्रॉबेरी कोलकाता के बाजारों में बेचा जिसमें उसको दो लाख रुपये का मुनाफा हुआ. 

जिसके बाद वे स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगा. स्ट्रॉबेरी की खेती करने में उसे काफी पैसे की आवश्यकता महसूस हुई इसलिए वह कृषि कार्यालय में कई बार अनुदान के लिए आवेदन दिया. जिले के कई अधिकारियों के पास गया लेकिन किसी ने अनिल की बातों को नहीं सुना. जबकि जिले में इकलौता स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाला है अनिल. लॉकडाउन के अवधि में अनिल को काफी नुकसान झेलना पड़ा. स्ट्रॉबेरी कोलकाता के मार्केट में व्यापारी को भेज तो दिया लेकिन व्यापारी लॉकडाउन में फसल नहीं बिकने का हवाला देकर पैसा नहीं दे पाए. 

जिससे अनिल को छह लाख का घाटा हुआ. स्ट्रॉबेरी की खेती करने में अनिल के साथ उसके पत्नी, पिता और सभी घरवाले साथ देते हैं. कैमूर जिले में इसका मार्केट नहीं होने के कारण स्ट्रॉबेरी को बेचने के लिए कोलकाता, पटना और रांची के मार्केट में भेजना पड़ता है और सरकारी मदद की गुहार लगा रहा है. 

जिला कृषि पदाधिकारी ललिता प्रसाद बताते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना किसानों की आय दोगुनी करने में स्ट्रॉबेरी की खेती का अहम रोल है. लेकिन इसको सरकार के अनुदान के लिस्ट में इसे नहीं जोड़ा गया है जिससे मदद देने में थोड़ा परेशानी हो रहा है. लेकिन हम लोग चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्ट्रॉबेरी का खेती करें जिससे उनको मुनाफा हो। जिसके लिए हम लोग किसानों को समय-समय को प्रशिक्षण दिया करते हैं.

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