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बेंगलुरु में दिखा तेजस्वी यादव का राष्ट्रीय अवतार

बेंगलुरु में दिखा तेजस्वी यादव का राष्ट्रीय अवतार

PATNA : तेजस्वी यादव के लिए बुधवार का दिन बहुत खास रहा। मौका था कुमारस्वामी की ताजपोशी का। यहां तेजस्वी राष्ट्रीय अवतार में दिखे। विपक्ष के दिग्गज नेताओं के बीच तेजस्वी यादव बराबरी में खड़े थे। भले राजनीति का अनुभव कम हो लेकिन उन्होंने राजनीतिक महारथियों के बीच राजद की बखूबी नुमाइंदगी की। इससे तेजस्वी यादव की स्वीकार्यता और लोकप्रियता और बढ़ेगी। तेजस्वी ने इस मौके पर आशीर्वाद लेने में भी आगे रहे।

लालू प्रसाद भी यही चाहते हैं कि तेजस्वी उनका उत्तराधिकारी बने और उनकी राजनीतिक विरासत को आगे ले जाएं। वे जानते हैं कि अगर सत्ता के खिलाफ राजनीति को धार दी जाए तो नौजवान नेता भी नेशनल फिगर बन सकता है। उन्होंने खुद ये उपलब्धि पायी है।

तेजस्वी यादव अभी 28-29 साल के हैं। कुछ लोग उन्हें नौसिखिया नेता कहते हैं। लेकिन राजनीति में मुकाम बनाने के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है।

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पिता की राह पर तेजस्वी

लालू यादव केवल 29 साल की उम्र में सांसद बन गये थे। कांग्रेस के निरंकुश शासन के खिलाफ जेपी आंदोलन ने लालू को बहुत बड़ा मंच दिया। कम उम्र होने के बाद भी लालू आगे बढ़े।  उस समय लालू प्रसाद की शैली की आलोचना होती थी लेकिन उनकी चर्चा भी बहुत होती थी। उनको इग्नोर करना मुश्किल हो गया।

1988 में जब जननायक कर्पूरी ठाकुर की मौत हुई तो ये सवाल खड़ा हुआ कि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा ? लोकदल में उस समय कई तपे- तपाये नेता मौजूद थे। तब लालू प्रसाद की उम्र केवल 40 साल थी। सबको पछाड़ते हुए लालू नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठ गये। फिर देखते- देखते वे 42 साल की उम्र में मुख्यमंत्री भी बन गये। 1990 में अनुभवी और बुजुर्ग नेता रामसुंदर दास देखते रह गये और 42 साल के लालू बाजी मार गये। बाद में उनकी हैसियत ये हो गयी कि वे देश का प्रधानमंत्री भी बनाने लगे। तेजस्वी यादव भी उसी राह पर चल रहे हैं। वे 26 साल की उम्र में बिहार के डिप्टी सीएम बन गये थे। अब वे नेता प्रतिपक्ष हैं। जब बेंगलुरू में देश के वरिष्ठ विपक्षी नेताओं का जुटान हुआ तो वहां तेजस्वी भी मौजूद थे। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मायावती जैसे नेताओं के बीच जब वे खड़े हुए तो एकबारगी से उनका राजनीति कद बढ़ गया।

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तेजस्वी आशीर्वाद लेने में भी आगे रहे


बेंगलुरू में जब तेजस्वी यादव मंच पर गये तो उन्होंने
ममता बनर्जी और सोनिया गांधी का पैर छू कर आशीर्वाद लिया। बिहार में यह सामाजिक परम्परा है कि जब कोई छोटी उम्र का आदमी अपने से बड़ी उम्र के व्यक्ति से मिलता है तो पैर छू कर प्रणाम करता है। अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेने का ये सबसे उत्तम तरीका है। तेजस्वी ने यहां अपने उच्च संस्कार का परिचय दिया।

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