पटना : RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का दावा फेल हो गया है. 5 फरवरी को जिलाध्यक्षों के नाम के ऐलान का जो दावा किय गया था वो पूरा नहीं हो पाया है.
राजद की स्थापना के 23 वर्ष बाद पहली बार राजद जिलाध्यक्षों के पद पर यादवी दबदबे को कम करने वाली सूची पूर्व घोषित तिथि 5 फरवरी को जारी नहीं हो सकी. क्यों नहीं जारी हुई, इसे लेकर दिन भर राजद कार्यालय में यह बहस जारी रही कि तेजस्वी की सहमति या तेजप्रताप के रांची दौरे, इनमें कौन कारण भारी पड़ा.
तेजप्रताप ने लालू की पैरवी
अंदरखाने में यह चर्चा तेज है कि तेजप्रताप यादव भी अपने कुछ खास समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं. सूत्र बताते हैं कि रांची में जिलाध्यक्षों के नाम के ऐलान से ऐन वक्त पहले लालू यादव से मिलकर तेजप्रताप ने अपने कुछ खास समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए पैरवी की है. बताया जाता है कि ऐलान से ऐन वक्त पहले तेजप्रताप की पैरवी की वजह से जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान नहीं हो सका.
60 फीसदी का हटना तय
48 संगठन जिलाध्यक्षों में अभी यादव जाति के 23 अध्यक्ष है जिनमें नई व्यवस्था में 60 फीसदी का हटना तय है. यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष ने तेजस्वी यादव के पटना लौटने के बाद ही लिस्ट जारी करने का मन बनाया है. राजद के अभी बिहार में 48 संगठन जिला हैं. इस बार नौगछिया और बाढ़ जिला को जोड़कर इसे बढ़ाकर 50 किया जा रहा है.