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तेजस्वी ने कन्हैया से क्यों किया किनारा ? आरजेडी की मुश्किल समझिए..

तेजस्वी ने कन्हैया से क्यों किया किनारा ? आरजेडी की मुश्किल समझिए..

PATNA : पटना एम्स प्रकरण में बुरी तरह से फंसे युवा वामपंथी नेता कन्हैया कुमार का साथ उनके सहयोगी दलों ने भी नहीं दिया. सोमवार पटना एम्स में इलाज करा रहे अपने एक सहयोगी छात्र नेता की खैरियत जानने पहुंचे कन्हैया कुमार की वहां डॉक्टरों से बहस हो गई थी. विवाद इतना बढ़ गया की डॉक्टरों ने कन्हैया कुमार उनके समर्थकों पर मारपीट का आरोप लगाते हुए चिकित्सा सेवा को ठप्प कर दिया. बाद में इस मामले को लेकर कन्हैया और उनके समर्थकों के खिलाफ एम्स प्रशासन ने फुलवारीशरीफ थाना में FIR दर्ज कराया. 

विरोधियों का निशाना, अपनों का किनारा  

पटना एम्स में हुई घटना के बाद कन्हैया कुमार विरोधियों के निशाने पर आ गए. जेडीयू ने कन्हैया की हरकत पर सवाल उठाये तो वहीं बीजेपी नेता और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कन्हैया और उनके समर्थकों पर सख्त रुख अपनाते हुए कड़ी कार्रवाई की बात कही थी. हालाँकि इस मामले में कन्हैया कुमार का बचाव उनके सहयोगी समझे जाने वाले नेताओं ने नहीं किया. हर मामले पर ट्वीट करने वाले तेजस्वी यादव ने तो कन्हैया के लिए कुछ भी कहना मुनासिब नहीं समझा. यही नहीं उनके पार्टी के नेताओं ने भी कन्हैया के समर्थन में कोई बयान नहीं दिया. कुल मिलकर कहें तो आरजेडी ने इस पूरे घटनाक्रम में कन्हैया से किनारा कर लिया. 

क्या है आरजेडी की दूरी की वजह ? 

कन्हैया से आरजेडी ने जो दूरी बनाई है उसकी भी अपनी सियासी वजह मानी जा रही है. JNU प्रकरण के बाद सुर्ख़ियों में आये कन्हैया ने कभी पटना पंहुचकर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद से मुलाकात की थी. लालू का पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया था. तब लालू ने भी कन्हैया की पीठ ठोकी थी. लेकिन पिछले दिनों जब सियासी गलियारे में इस बाद की चर्चा हुई की कन्हैया बेगुसराय से लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे और महागठबंधन का उन्हें समर्थन होगा, तब आरजेडी ने सीटों के तालमेल की बात को ख़ारिज कर दिया था. दरअसल कन्हैया कुमार की तेवर वाली राजनीती आरजेडी की असल चिंता है. पार्टी के अन्दुरुनी सूत्र बताते हैं की आरजेडी फिलहाल इस मूड में नहीं की वह तेजस्वी के सामानांतर किसी अन्य युवा चेहरे को बिहार में आगे बढ़ता देखे. यही वजह है तेजस्वी के सामने आरजेडी कन्हैया को तरजीह नहीं देना चाहती. जाहिर है कन्हैया से आरजेडी की दूरी को सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है. 

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