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एक तस्वीर का नहीं होना 75 साल के लालू का तोड़ देता है दिल, आखिर किसके याद में रोते हैं राजद सुप्रीमो

एक तस्वीर का नहीं होना 75 साल के लालू का तोड़ देता है दिल, आखिर किसके याद में रोते हैं राजद सुप्रीमो

PATNA :  आज राजद सुप्रीमो लालू यादव का 75वाँ जन्मदिन है। जिसको लेकर लालू के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह नजर आ रहा है। पिछले पांच साल में यह पहली बार है कि जब अपने जन्मदिन पर लालू प्रसाद पटना में मौजूद हैं, जिसके कारण भी गरीबों के नेता का जन्मदिन बेहद खास बन गया है। यहां हम लालू प्रसाद के उन अनकही बातों के बारे में जब लालू प्रसाद ने अपने शुरुआती दौर में किए थे। खुद लालू प्रसाद ने इन बातों को शेयर किया है। 

पिता की तस्वीर नहीं होने का दुख

एक इंटरव्यू में लालू प्रसाद ने अपने बचपन का जिक्र किया था। जिसमें उन्होंने अपने पिता के बारे में बताया है कि वे हमेशा एक लाठी साथ रखते थे। उनकी आवाज बेहद दमदार थी और जब वह चिल्लाते थे तो उसे एक मील दूर तक सुना जा सकता था। वह गरीब जरूर थे लेकिन साहसी थे।' लालू प्रसाद के पास उनके पिता की फोटो नहीं होने का अफसोस है। अपनी गरीबी को बयान करते हुए उन्होंने लिखा है, 'एक बार जब मैं बहुत छोटा था तब मुझे हाथ से सिली गई बनियान मिली थी। लेकिन मैं न तो रोजाना नहा पाता था और न ही नए कपड़े को धो पाता था, क्योंकि मेरे पास बदलने के लिए कोई और बनियान ही नहीं थी।'

छत उड़ने का लगा रहता था डर

लालू प्रसाद ने अपने जीवनी ‘गोपालगंज टु रायसीना’ मैं लिखा है मेरी जीवन बेहद मामूली ढंग से शुरू हुआ। आज लालू प्रसाद के पास अरबों रुपए की प्रॉपर्टी है। कई आलीशान घर हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब उन्हें बारिश में अपने घर के छत उड़ने का डर लगा रहता है। वह लिखते हैं कि  मेरे आस पास सब कुछ इतना साधारण था कि उसे साधारण कुछ और हो ही नहीं सकता।  उन्होंने बताया कि वे लगातार इसी भय में जीते थे कि हमारे सिर से ऊपर की छत कोई तूफान न उड़ा ले जाएं और बरसात में उसे पानी न चुनें लगे। 


बार बार मरकर जिंदा हो उठते थे गुलाब भाई

अपने बड़े भाई की कहानी बताते हुए लालू प्रसाद ने लिखा है, 'मेरे बड़े भाई गुलाब राय को एक अजीब बीमारी हो गई थी। वह अक्सर बीमार पड़ जाते और मर जाते थे। जैसे ही कफन खरीदकर घर लाया जाता और उनके शरीर को उससे ढ़ंककर उन्हें श्मशान ले जाया जाता वह अचानक जिंदा हो जाते। वह कई बार इसी तरह मर गए और जिंदा हो गए। 

पढ़ाई में था बेहतर

अपनी पढ़ाई के दिनों के बारे में बताया, 'मुझे मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त था। मैं स्कूल के सारे पाठ बहुत जल्दी कंठस्थ कर जाता था।  बता दें कि लोगों के बीच अपने गंवई अंदाज के कारण लोकप्रिय रहे पटना यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं और उन्होंने वहां से राजनीति शास्त्र में एमए किया।

चल रहे हैं कई केस

 लालू कभी बाका, चाईबासा, दुमका आदि मामले में कोर्ट में जाना पड़ रहा। उन पर कई छोटे छोटे मुकदमे भी है। जिनमें एमपी एमएलए कोर्ट भी जाना पड़ता है। थोड़ीआय से अधिक संपत्ति मामले की आंच उनके बच्चों तक पहुँच चुकी है। कभी टिकट देने के बदले जमीन लिखवाने का आरोप तो कभी रेल मंत्री रहते लेने देन कर लें नौकरियां बांटने का आरोप।  लालू यादव की हालत यह है कि वे चुनाव नहीं लड़ सकते।

तेजी से छाने की तरकीब जानते थे लालू

 लेखक श्रीकांत ने अपनी किताब राज और समाज चलिए में लिखा है कि सत्ता मिलने के बाद लालू प्रसाद यादव ने सरकारी फ़ाइलों में दिलचस्पी कम दिखाई लेकिन तेजी से छा जाने की  तरकीबें खूब ढूंढ़ी। इसी क्रम में चरवाहा स्कूलों की खोज की ओर गरीबों के बच्चों के बाल काटने और पहलवानी का सिलसिला शुरू किया। 

उक्त बातें लालू प्रसाद यादव के बारे में ये बातें सोनिया गांधी ने 'गोपालगंज टू रायसीना : माई पॉलिटिकल जर्नी' किताब के प्रस्तावना में कही है। उनके जीवन की राजनीतिक यात्रा पर केंद्रित इस किताब को नलिन वर्मा और लालू यादव ने लिखा है।


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