GAYA : भा०क०पा० माओवादी के सक्रिय सदस्य शशि रंजन उर्फ समीर ने गया के वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा के कार्यालय में आकर आत्मसमर्पण किया है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को वरीय पुलिस अधीक्षक ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया और उनके परिजन को पुरस्कार दिया. वही वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव कुमार मिश्रा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार के नीति के तहत मिलने वाले सभी लाभ शीघ्र दिए जाएंगे. सरेंडर और रिहैबिलिटेशन योजना के तहत इनके खाते में प्रतिमाह 4000 रुपए के दर से 3 साल तक कुल 1,44,000 रूपये जमा किए जाएंगे. साथ ही कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए साधन भी मुहैया कराया जाएगा.
इसे भी पढ़े : अभी-अभी : मुजफ्फरपुर में बैंक कर्मचारी से लूट, विरोध करने पर मारी गोली
एसएसपी ने कहा की पुलिस का निरंतर प्रयास रहता है कि कुछ भटके हुए नौजवान जो नक्सलियों के चंगुल में फंस कर उनका साथ दे रहे हैं. उन्हें सही मार्गदर्शन देकर नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराया जाए. एसएसपी ने कहा की कई मामलों में पुलिस को शशि रंजन की तलाश थी.
इसे भी पढ़े : बेगूसराय में बेखौफ अपराधियों का तांडव, दिन-दहाड़े युवक को मारी गोली
वहीँ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली ने बताया कि 2017 के दिसंबर महीना में मोबाइल एवं कंप्यूटर खरीदने के लिए घर वाले से पैसा न मिलने पर नक्सलियों के बहकावे में आकर भाकपा माओवादी संगठन के दस्ते में शामिल हुआ था. नक्सली दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक भा.क.पा माओवादी सब जोनल कमांडर अभिजीत उर्फ संदीप यादव के दस्ता में और अक्टूबर 2018 से अभी तक जोनल कमांडर जुबेदा के दस्ता में सक्रिय था. नक्सली द्वारा बताया गया कि वर्तमान में नक्सलियों की संख्या में भारी कमी होने के चलते भोली भाली जनता को बहला-फुसलाकर और लालच देकर उन्हें नक्सलियों द्वारा अपने चंगुल में फंसा लिया जाता है. बाद में ऐसे व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है. नक्सली संगठन के निचले दर्जे के सदस्यों का शोषण करते है. लेवी वसूलने के अपने उद्देश्य के बजाय नाजायज़ इस्तेमाल भी करते है. संगठन के अंदर इन सभी अत्याचारों का विरोध करने वाले को बुरी तरह से मारा-पीटा जाता है और कई दिनों तक खाना नहीं दिया जाता है. इन सभी से तंग होकर संगठन छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आज वरीय पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया हूँ.
गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट