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आंदोलनकारी अभ्यर्थियों को मिला राजद का साथ, बोले- हमारी सरकार होती तो अब तक हो जाती बहाली, लेकिन ऐसा हो न सका...

आंदोलनकारी अभ्यर्थियों को मिला राजद का साथ, बोले- हमारी सरकार होती तो अब तक हो जाती बहाली, लेकिन ऐसा हो न सका...

पटना... बिहार शिक्षक बहाली को लेकर राजधानी के गर्दनीबाग में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को अब विपक्ष का साथ मिल गया है। कांग्रेस ने पत्र लिखकर पहले ही बिहार सरकार से अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जल्द देने की मांग कर चुके हैं। अब राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव धरना स्थल पर पहुंचकर अभ्यर्थियों की वेदना सुनी। ठंड में अभ्यर्थियों की दशा देखकर शक्ति सिंह यादव ने बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि नीतीश सरकार युवाओं को गुमराह करके सरकार में आई है। 

राजद नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि 20 लाख रोजगार देने की बात कहने वाली एनडीए की सरकार ठंड में युवाओं को बेवजह तड़पा रही है। नीतीश सराकर को जवाब देना चाहिए कि क्यों शिक्षक बहाली नहीं हो रही है। राज्य सरकार ये बताए कि आखिर क्या कारण है कि सिर्फ तारीख पर तारीख अभ्यर्थियों को दे रही है। 

शक्ति सिंह यादव ने कहा कि हमारे पास कल रात को फोन आया और कहा  कि हमें आपका साथ चाहिए और ये बात हमने अपने नेता को बताया। हमारे नेता तेजस्वी यादव जी ने मुझसे कहा कि आप धरना स्थल पर जाइए और उन अभ्यर्थियों को ये भरोसा दिलाइए कि हम उनके आंदोलन के साथ हैं और हमेंशा रहेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि हम विधानसभा में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगे अगर सरकार तिथि जारी नहीं करती है तो। 

राजद नेता ने कहा कि इस समय बहुत मुश्किल घड़ी है और शांति बनाकर आंदोलन को करना है। आपको याद होगा कि जब बिहार विधानसभा चुनाव चल रहा था, तब हमारे नेता तेजस्वी यादव ने वचन पत्रों में जो लिखा था उसमें यह भी कहा था कि हमारी सरकार आई तो सबसे पहले 94 हजार शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया को पूरा करेंगे। अगर चुनाव के बाद हमारी सरकार बनती है तो इस प्रक्रिया को हम अंतिम रूप देंगे और किसी प्रकार का कोई फेरबदल नहीं करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

अब ऐसे मुश्किल घड़ी में बिहार सरकार के किए जा रहे कार्यों पर कई तरह की उंगलियां उठ रही हैं। उंगलियां संस्थाओं पर भी उठ रही है। आप सबको लगभग पता ही है कि इस राज्य के अंदर में कैसे-कैसे चीजों को किस-किस रूप में अंजाम दिया जाता है।

बता दें कि पटना में सर्दी शबाव पर है, लेकिन सोमवार से गर्दनीबाग में टेंट के नीचे हजारों अभ्यर्थी उस बात की सजा काट रहे हैं, जो उन्होंने की ही नहीं। यह विडंबना ही कहेंगे और कुछ नहीं। जब उम्मीदें टूट जाती हैं और हर बात अनसुनी हो जाती है तो आंदोलन ही एक रास्ता दिखता है। जाहिर है कि बिहार के दूर-दूर से हर एक जिले से आए छात्र अब गर्दनीबाग पहुंचने लगे हैं और खुद को महाआंदोलन की आग में झोंकने को तैयार हैं। इस आंदोलन से शायद सरकार इनकी गुहार सुन लेगी और शिक्षक बहाली का पूरी तरह से रास्ता साफ हो जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि 2 साल से बहाली की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक बिहार सरकार से 94000 शिक्षकों की बहाली नहीं हो पाई है।


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